Jaunpur Live News Network
जौनपुर लाइव न्यूज नेटवर्क
जौनपुर। अपर सत्र न्यायाधीश गैंगस्टर न्यायालय साजिया नजर जैदी ने हत्या मामले के अभियुक्त पिता—पुत्र को आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया। यह घटना चार वर्ष पूर्व केराकत थाना क्षेत्र के सगिया गांव में घटित हुई थी जिसमें राणा प्रताप नामक युवक को मामूली सी बात को लेकर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
अभिजन कथानक के अनुसार वादी मुकदमा राम प्रताप सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराया कि उसके पड़ोसी रामसमुझ सिंह व विवेक सिंह जो आपस में पिता-पुत्र हैं दिनांक 10 अगस्त 2014 को पत्थर फेंक रहे थे जिस पर उसके पुत्र राणा प्रताप सिंह ने मना किया तो वह लोग गालियां देने लगे। गाली देने से मना करने पर। रामसमुझ के ललकारने पर विवेक सिंह ने लाइसेंसी बंदूक से गोली मारकर उसके पुत्र की हत्या कर दी। अदालत में 8 गवाह पेश किए गए। न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात आईपीसी की धारा 302 में आरोपी रामसमुझ सिंह व उसके पुत्र विवेक सिंह निवासी ग्राम तेजपुर गढ़िया थाना केराकत को आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी अपर जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी अली असद तथा वादी के अधिवक्ता दुष्यंत सिंह, श्रीकांत श्रीवास्तव ने किया।
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जौनपुर। अपर सत्र न्यायाधीश गैंगस्टर न्यायालय साजिया नजर जैदी ने हत्या मामले के अभियुक्त पिता—पुत्र को आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया। यह घटना चार वर्ष पूर्व केराकत थाना क्षेत्र के सगिया गांव में घटित हुई थी जिसमें राणा प्रताप नामक युवक को मामूली सी बात को लेकर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
अभिजन कथानक के अनुसार वादी मुकदमा राम प्रताप सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराया कि उसके पड़ोसी रामसमुझ सिंह व विवेक सिंह जो आपस में पिता-पुत्र हैं दिनांक 10 अगस्त 2014 को पत्थर फेंक रहे थे जिस पर उसके पुत्र राणा प्रताप सिंह ने मना किया तो वह लोग गालियां देने लगे। गाली देने से मना करने पर। रामसमुझ के ललकारने पर विवेक सिंह ने लाइसेंसी बंदूक से गोली मारकर उसके पुत्र की हत्या कर दी। अदालत में 8 गवाह पेश किए गए। न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात आईपीसी की धारा 302 में आरोपी रामसमुझ सिंह व उसके पुत्र विवेक सिंह निवासी ग्राम तेजपुर गढ़िया थाना केराकत को आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी अपर जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी अली असद तथा वादी के अधिवक्ता दुष्यंत सिंह, श्रीकांत श्रीवास्तव ने किया।
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