Jaunpur Live : हाशिमपुरा कांड के आरोपितों को सजा दिलाने में जौनपुर के अकबर आब्दी की अहम भूमिका




  • बतौर एसएपीपी 2008 से कर रहे थे मुकदमे की पैरवी

Jaunpur Live News Network
जौनपुर लाइव न्यूज नेटवर्क
जौनपुर। मेरठ के हाशिमपुरा कांड में 42 युवकों की हत्या के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने 16 पीएसी जवानों को उम्रकैद की सजा बुधवार को सुनायी तो जिले में भी खुशी की लहर दौड़ पड़ी। वजह खास थी कि इस मामले को यहां तक अंजाम पहुंचाने में नगर कोतवाली थाना क्षेत्र के पानदरीबा निवासी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अकबर आब्दी की महत्वपूर्ण भूमिका थी। 2008 से वे इस मुकदमे में बतौर स्पेशल एडिशनल पब्लिक प्रॉस्क्यूटर के तौर पर हाशिमपुरा कांड में अपनी जान गवां चुके 42 परिवारों को इंसाफ दिलाने की जंग लड़ रहे थे। उन्होंने कहा कि आज उन परिवारों का न्याय के प्रति विश्वास बढ़ गया है जिन्होंने अपने लोगों को इस कांड में खोया था। अकबर आब्दी ने कहा कि वे लगातार इस मामले की पैरवी दिल्ली 30 हजारी कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक करते रहे है और आखिर आज वह दिन आ ही गया आज दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए सभी 16 पीएसी के जवानों को दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनायी। अकबर आब्दी की पत्नी न्यायिक अधिकारी है और एडीजे पद पर तैनात है। वे मूल रुप से जौनपुर जिले के पानदरीबा के निवासी है और सुप्रीम कोर्ट में अपनी वकालत करते चले आ रहे है।

Jaunpur Live : हाशिमपुरा कांड के आरोपितों को सजा दिलाने में जौनपुर के अकबर आब्दी की अहम भूमिका


2 मई 1987 को 42  युवकों की हत्या के मामले में सभी 16 पीएसी जवानों  को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. दिल्ली हाइकोर्ट ने सभी को हत्या, अपहरण,साक्ष्यों को मिटाने का दोषी मानते हुए सजा सुनाई है और तीसहजारी कोर्ट के फैसले को पलट दिया है. दरअसल दिल्ली की तीस हज़ारी कोर्ट ने साल 2015 में आरोपी में सभी 19 क्कष्ट जवानों को बरी कर दिया गया था. जिसमे तीन की मौत हो चुकी है. गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट में मारे गए मुस्लिम युवकों के परिवारों की तरफ से, उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य के तरफ याचिका दायर की गयी थी.

आपको बता दें कि साल 1987 में रिजर्व पुलिस बल प्रोविंशियल आर्म्ड कॉन्‍स्टेबुलरी (PAC) के जवानों ने 42 मुस्लिम युवकों को कथित तौर पर उनके घरों से उठाया और पास ही ले जाकर उनकी हत्या कर दी. 28 साल के बाद 2015 में दिल्ली के तीस हज़ारी कोर्ट ने इस मामले पर फैसला आया था, लेकिन इतने लंबे समय बीत जाने के बाद दिल्ली की निचली अदालत ने इस मामले में सभी 19 आरोपियों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया था. अब हाईकोर्ट ने फैसले को पलट दिया है. आपको बता दें सबसे पहले ये मामला उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद में चल रहा था लेकिन सुनवाई में देरी की वजह से मारे गए लोगों के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जिसके बाद सुप्रीम दिल्ली के तीस हज़ारी कोर्ट में मामला ट्रांसफर हो गया था.
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