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Jaunpur Live : सात दिन में ही क्यों कहा जाता है भागवत?



Jaunpur Live News Network
जौनपुर लाइव न्यूज नेटवर्क
सुजानगंज, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के शचीपुरम् गांव आयोजित गोलोकवासी माता शची देवी और पिता राजदेव मिश्र की स्मृति में श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिवस की कथा में कथा ब्यास चित्रकूट तुलसी पीठाधीश्वर  जगद्गगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज ने आज की कथा में विषय रासलीला कंशवध, रूकमणी विवाह में कहा कि भागवत की पहली टीका श्रीधरी हैं। भागवत को सात दिन में ही क्यों कहा जाता है सभी टीकाकार कहते हैं कि सुकदेव ने छह प्रश्नों का उत्तर दिया है। भगवान विष्णु ने ब्रम्हा को बुद्धि बदल दी। जब भगवान कृष्ण बालकों के साथ में भोजन कर रहे थे तो ब्रम्हा जी ने सोचा कि ए भगवान नहीं हो सकते। भगवन् ने अपने मित्र मधुमंइ को बुलाया आज तुम्हें श्याम ने बुलाया है। कृष्ण भगवान मधुमंगल के पास गये और उसे मुंह से माठ गिर गया और भगवान उसके मुंह से छाछ पी गये। ब्रम्हा जी ने भगवान के मित्रों को चुरा। उसके बछड़ों को चुरा लिया। भगवान ने गवालों को चुराया और गवालों जैसा कर्म किया। आचार्य जी ने कहा कि मुझे साकेत नहीं चाहिए। ब्रम्हा तो ब्रह्म लोक ले चलो। ग्राम का अर्थ हैं जहां राम के खेलने का स्थान हैं। गर्गाचार्य ने कहा कि नंद गांव के लड़कों से बरसाने की लड़कियों का विवाह हो गया। भागवत जी में लिखा हैं कि सभी गोपियों श्रीकृष्ण की बहुए हैं। सातवां अवतार 14वें अध्याय से 35वें अध्याय तक। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. राजाराम यादव, कुलपति वीर बहादुर सिंह विश्वविद्यालय जौनपुर ने कहा कि पूज्य जगद्गगुरु जी विश्व की विलक्षण प्रतिभा के धनी हैं। मैं जगद्गगुरु जी को बहुत नजदीक से जानता हूँ। अद्भुत क्षमता है मैं आज जो कुछ भी हूं उसमें जगद्गगुरु जी का पूरा आशीर्वाद प्राप्त है। सदैव आप भारतीय सनातन धर्म के चिंतित है। आपके विकलांग विश्वविद्यालय का मैं अवलोकन किया है इतना अद्भुत आपने बनाया है। विकलांग भाइयों बहनों के लिए वरदान साबित होगा। आपने सदैव अपने जीवन में 99 प्रतिशत से कम अंक नहीं देखा। आपको मैं बारंबार प्रणाम करता हूँ। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में राजदेव सिंह पूर्व विधायक, मुन्ना सिंह प्रतापगढ़, कथा के आयोजक रमापति मिश्र, ओमप्रकाश मिश्र, एसपी मिश्र, शेषधर शुक्ला, आचार्य दिनेश ज्योतिषी, डॉ. मनोज पाण्डेय, अजयशंकर दुबे, ध्रुव नारायण तिवारी, आलोक मिश्र, हिमांशु मिश्र, अमृतांशु मिश्र, आनंद मिश्र , मयंक दिवेदी आदि हजारों लोगों ने कथा श्रवण किया। मंच संचालन आयुशमान जय मिश्र ने किया। इस अवसर पर प्रतिदिन जगद्गगुरु रामभद्राचार्य दिंब्याग विश्वविद्यालय चित्रकूट के संयोजकत्व में क्षेत्र के लोगों के लिए नि:शुल्क आयुर्वेद चिकित्सा, एलोपैथी, चिकित्सा, शिविर का  भी बृहद आयोजन किया जा रहा है। मुबंई से डॉ. अभय शुक्ला, डॉ. प्राची दिवेदी मुबंई एंव  डॉ. सनेहिल शिराडे, डॉ. अदिति मुंबई और डॉ. रामजी पांडेय मुख्य चिकित्सा अधिकारी जौनपुर की टीम में डॉ. जय शंकर सिंह, डॉ. शिवराम मिश्र, ओमप्रकाश सिंह, डॉ. प्रक्षा राय सभी विशेषज्ञ डॉक्टरों ने इलाज किया।


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