जौनपुर। जीवित्पुत्रिका (जीयूतिया) का पर्व नगर से लेकर ग्रामीण इलाकों में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। पुत्र की दीर्घायु तथा परिवार की खुशहाली के लिए माताओं ने दिन भर निर्जला व्रत रख कर विधि विधान से पूजा पाठ किया। कुछ महिलाएं गाजे-बाजे के साथ पूजा स्थल पर पहुंची। पूजा स्थल पर महिलाओं ने जीवित पुत्रिका से संबंधित कहानियों को भी सुनाई।
बरसठी : स्थानीय क्षेत्र भर में अश्विन मास की अष्टमी तिथि मंगलवार को पुत्र की दीर्घायु और मंगलकामना के लिए माताओं ने निर्जल और निराहार रहकर जीवित्पुत्रिका व्रत रखा। विधि-विधान से पूजन-अर्चन कर इस दौरान आठ कहानियां सुनकर, सोहर, बधाई आदि मांगलिक गीत गाकर व्रत किया। नवमीं तिथि बुधवार को प्रसाद का वितरण होगा और पूड़ी-पकवान खाकर माताएं व्रत का पारण करेंगी।
मड़ियाहूं : तहसील क्षेत्र में जीवित्पुत्रिका का पर्व मनाया गया। महिलाओं ने का निराजल रहकर वृत रखा और पूरे विधि विधान से माता को श्रृंगार सामग्री फल फूल धूप दीप और चीनी के बने लड्डू अर्पित कर पुत्र के दीर्घायु एवं सुख समृद्धि की कामना कर माता जिउतिया से आशीर्वाद प्राप्त किया। व्रतों में सबसे कठिन व्रत जिउतिया और तीज का होता है जिसमे महिलायें जल 24 घंटे नही ग्रहण करती है। 3 अक्टूबर को सूर्यादय के बाद व्रत का पारण होगा तभी महिलायें जल ग्रहण करेंगी।
बरसठी : स्थानीय क्षेत्र भर में अश्विन मास की अष्टमी तिथि मंगलवार को पुत्र की दीर्घायु और मंगलकामना के लिए माताओं ने निर्जल और निराहार रहकर जीवित्पुत्रिका व्रत रखा। विधि-विधान से पूजन-अर्चन कर इस दौरान आठ कहानियां सुनकर, सोहर, बधाई आदि मांगलिक गीत गाकर व्रत किया। नवमीं तिथि बुधवार को प्रसाद का वितरण होगा और पूड़ी-पकवान खाकर माताएं व्रत का पारण करेंगी।
मड़ियाहूं : तहसील क्षेत्र में जीवित्पुत्रिका का पर्व मनाया गया। महिलाओं ने का निराजल रहकर वृत रखा और पूरे विधि विधान से माता को श्रृंगार सामग्री फल फूल धूप दीप और चीनी के बने लड्डू अर्पित कर पुत्र के दीर्घायु एवं सुख समृद्धि की कामना कर माता जिउतिया से आशीर्वाद प्राप्त किया। व्रतों में सबसे कठिन व्रत जिउतिया और तीज का होता है जिसमे महिलायें जल 24 घंटे नही ग्रहण करती है। 3 अक्टूबर को सूर्यादय के बाद व्रत का पारण होगा तभी महिलायें जल ग्रहण करेंगी।
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