जौनपुर। इस्लाम धर्म के प्रवर्तक हजरत मोहम्मद व हजरत इमाम जाफर सादिक अलै. की विलादत की याद में 17 रबीउल अव्वल को जामिया इमाम जाफर सादिक में जश्न-ए-रिसालत व इमामत का आयोजन किया गया। इस मौके पर उपस्थित शायरों व उलेमाओं ने उनके जीवन पर प्रकाश डाला। साथ ही शिया धर्मगुरू मौलाना सफदर हुसैन जैदी ने कहा कि ईद मिलादुन्नबी का शाब्दिक अर्थ हजरत मोहम्मद के पैदाइश की खुशी है। शिया जागरण मंच के अध्यक्ष मौलाना हसन मेंहदी ने कहा कि मानवीय मूल्यों की रक्षा ही इस्लाम की पहचान है। इस्लाम धर्म की बुनियाद दो चीजों पर है। पहला- कुरआन शरीफ है जो अल्लाह की तरफ से पूरी मानवता के लिये राहनुमा है और दूसरा हदीस है जो हजरत मोहम्मद साहब ने इस्लाम मजहब के मानने वालों को सम्पूर्ण जीवन मानवीय आधार पर जीने के लिये बताया है। मौलाना फजले मुमताज ने कहा कि इस्लाम धर्म में इस बात की वकालत की गयी है कि सबसे बड़ा धर्म इंसानियत की हिफाजत है। इस अवसर पर मौलाना अहमद अब्बास, मौलाना दिलशाद खान, मौलाना रजा अब्बास, मौलाना आसिफ अब्बास, मौलाना बाकिर रजा खान, मौलाना जफर, आकिफ हुसैनी, कासिद हुसैन, मुशरान जाफरी, अफसर अनमोल, प्रभाष मौर्य आदि मौजूद रहे।
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