Jaunpur Live News Network
जौनपुर लाइव न्यूज नेटवर्क
सिंगरामऊ, जौनपुर। बदलापुर तहसील के धन्नीगोपालपुर गांव में अनुसूचित जाति के आधा दर्जन पट्टाधारक अपने आवासीय पट्टे पर कब्जा पाने के लिए लगभग 11 साल से थाना से लेकर तहसील स्तर तक का चक्कर काट रहे है। पट्टाधारकों ने इस बाबत डीएम, अनुसूचित जनजाति आयोग को पत्र भेजकर न्याय की गुहार लगाने की योजना बनायी है। पूरारजवार निवासी हरीलाल पुत्र पाँचू, मीना पत्नी हरीलाल, जयप्रकाश पुत्र रामनरायन, उर्मिला पत्नी जयप्रकाश आदि अनुसूचित जाति के हैं। उनके पास रहने के लिए जमीन नहीं है। उन्हें वर्ष 2007 में आराजी नंबर 158 में से क्रमश: पाँच-पाँच व चार-चार डिस्मिल का आवासीय पट्टा भूमि प्रबंध समिति द्वारा आवंटित किया गया था। उनका कहना हैं कि उस समय परिवार की रोजी रोटी के लिए जब वे बाहर कमाने चले गये तो उनके पट्टे की जमीन पर गांव के ही कुछ लोगों ने कब्जा जमा लिया। तबसे वे थाने से लेकर तहसील तक का चक्कर लगाते थक गये हैं। बताया कि कई बार समाधान दिवस व तहसील दिवस पर प्रार्थना पत्र देने के बाद कुछ नहीं हुआ। कुछ माह पहले हल्का लेखपाल अशोक यादव ने पैमाइस कर सीमांकन भी कर दिया था लेकिन फिर भी आज तक भू-माफिया के चंगुल से पट्टाधारकों को कब्जा नहीं मिल सका।
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सिंगरामऊ, जौनपुर। बदलापुर तहसील के धन्नीगोपालपुर गांव में अनुसूचित जाति के आधा दर्जन पट्टाधारक अपने आवासीय पट्टे पर कब्जा पाने के लिए लगभग 11 साल से थाना से लेकर तहसील स्तर तक का चक्कर काट रहे है। पट्टाधारकों ने इस बाबत डीएम, अनुसूचित जनजाति आयोग को पत्र भेजकर न्याय की गुहार लगाने की योजना बनायी है। पूरारजवार निवासी हरीलाल पुत्र पाँचू, मीना पत्नी हरीलाल, जयप्रकाश पुत्र रामनरायन, उर्मिला पत्नी जयप्रकाश आदि अनुसूचित जाति के हैं। उनके पास रहने के लिए जमीन नहीं है। उन्हें वर्ष 2007 में आराजी नंबर 158 में से क्रमश: पाँच-पाँच व चार-चार डिस्मिल का आवासीय पट्टा भूमि प्रबंध समिति द्वारा आवंटित किया गया था। उनका कहना हैं कि उस समय परिवार की रोजी रोटी के लिए जब वे बाहर कमाने चले गये तो उनके पट्टे की जमीन पर गांव के ही कुछ लोगों ने कब्जा जमा लिया। तबसे वे थाने से लेकर तहसील तक का चक्कर लगाते थक गये हैं। बताया कि कई बार समाधान दिवस व तहसील दिवस पर प्रार्थना पत्र देने के बाद कुछ नहीं हुआ। कुछ माह पहले हल्का लेखपाल अशोक यादव ने पैमाइस कर सीमांकन भी कर दिया था लेकिन फिर भी आज तक भू-माफिया के चंगुल से पट्टाधारकों को कब्जा नहीं मिल सका।
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