Jaunpur Live News Network
जौनपुर लाइव न्यूज नेटवर्क
खुटहन, जौनपुर। दरबारे कादरिया गौसपीर दरगाह का फाटक मंगलवार की रात 11 बजकर 11 मिनट पर खुल जायेगा। इसी के साथ यहां का सालाना उर्स (मेला) भी शुरू हो जायेगा। फाटक खुलने के बाद जायरीन मस्जिद के भीतर मत्था टेक मिन्नतें मुरादे शुरू कर देंगे। यह उर्स प्रत्येक वर्ष रवि उस्मानी की 11वें से शुरू होकर सत्रह दिनों तक चलता है। यहां देश के विभिन्न प्रांतों से हजारों जायरीन मत्था टेकने आते है। दरगाह समिति के मुतवल्ली मंसूर शाह ने बताया कि मेले की तैयारियां अंतिम चरण पर है। जिसे मंगलवार के पूर्व ही पूरा कर लिया जायेगा।
जनपद मुख्यालय से लगभग 25 किमी पश्चिम गौसपुर गांव स्थित दरगाह के बिषय में कहावत हैं कि इजरत शाह मोहम्मद उमर व इजारत शाह नगीना दोनों भाई लगभग आठ सौ वर्ष पूर्व इजारत के लिए बगदाद शरीफ गये थे। जहां से उन दोनों ने एक र्इंट लाया था। गौसपुर में रात्रि विश्राम के बाद उन्हें स्वप्न में बरसात हुई कि र्इंट को इसी जगह एक रौजा की तामीर करके नस्ब कर दिया जाय ताकि इस जमीन पर भी बगदाद शरीफ की तरह गौसपाक फैज का चश्मा जारी रहे। यही पाक र्इंट दरगाह की गुंबद के भीतर छोटे से कुब्बे में नस्ब है। इसी कुब्बे का फाटक रवी उस्मानी की 11वें की रात जायरीनों को मत्था टेकने लिए खोला जाता है। दरगाह के दक्षिण तरफ हजरत शाह मोहम्मद उमर और शाह नगीना दोनों भाइयों की मजार बनी हुई है। यहां जायरीन चादर चढ़ाते है। दरगाह पर वार्षिक उर्स के अलावा भी प्रत्येक गुरुवार को अकीदतमंद पहुंचते है। दरगाह की मान्यता हैं कि यहां सच्चे मन से की गई मुरादें अवश्य पूरी होती है। सबसे अधिक प्रेती बाधा के निवारण के लिए लोग आते है। मेले में अल्पसंख्यक समुदाय के अलावा भी हिन्दू धर्म के लोगों का भी खूब जमावड़ा होता है। दरगाह के मुतवल्ली मोहम्मद मंसूर, मोहम्मद असलम, मोहम्मद हारु न ने बताया कि मेले की पूरी व्यवस्था में प्रशासनिक अमला कोई सहयोग नहीं दे रहा है। यहां पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा साफ-सफाई कराना आवश्यक है।
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खुटहन, जौनपुर। दरबारे कादरिया गौसपीर दरगाह का फाटक मंगलवार की रात 11 बजकर 11 मिनट पर खुल जायेगा। इसी के साथ यहां का सालाना उर्स (मेला) भी शुरू हो जायेगा। फाटक खुलने के बाद जायरीन मस्जिद के भीतर मत्था टेक मिन्नतें मुरादे शुरू कर देंगे। यह उर्स प्रत्येक वर्ष रवि उस्मानी की 11वें से शुरू होकर सत्रह दिनों तक चलता है। यहां देश के विभिन्न प्रांतों से हजारों जायरीन मत्था टेकने आते है। दरगाह समिति के मुतवल्ली मंसूर शाह ने बताया कि मेले की तैयारियां अंतिम चरण पर है। जिसे मंगलवार के पूर्व ही पूरा कर लिया जायेगा।
जनपद मुख्यालय से लगभग 25 किमी पश्चिम गौसपुर गांव स्थित दरगाह के बिषय में कहावत हैं कि इजरत शाह मोहम्मद उमर व इजारत शाह नगीना दोनों भाई लगभग आठ सौ वर्ष पूर्व इजारत के लिए बगदाद शरीफ गये थे। जहां से उन दोनों ने एक र्इंट लाया था। गौसपुर में रात्रि विश्राम के बाद उन्हें स्वप्न में बरसात हुई कि र्इंट को इसी जगह एक रौजा की तामीर करके नस्ब कर दिया जाय ताकि इस जमीन पर भी बगदाद शरीफ की तरह गौसपाक फैज का चश्मा जारी रहे। यही पाक र्इंट दरगाह की गुंबद के भीतर छोटे से कुब्बे में नस्ब है। इसी कुब्बे का फाटक रवी उस्मानी की 11वें की रात जायरीनों को मत्था टेकने लिए खोला जाता है। दरगाह के दक्षिण तरफ हजरत शाह मोहम्मद उमर और शाह नगीना दोनों भाइयों की मजार बनी हुई है। यहां जायरीन चादर चढ़ाते है। दरगाह पर वार्षिक उर्स के अलावा भी प्रत्येक गुरुवार को अकीदतमंद पहुंचते है। दरगाह की मान्यता हैं कि यहां सच्चे मन से की गई मुरादें अवश्य पूरी होती है। सबसे अधिक प्रेती बाधा के निवारण के लिए लोग आते है। मेले में अल्पसंख्यक समुदाय के अलावा भी हिन्दू धर्म के लोगों का भी खूब जमावड़ा होता है। दरगाह के मुतवल्ली मोहम्मद मंसूर, मोहम्मद असलम, मोहम्मद हारु न ने बताया कि मेले की पूरी व्यवस्था में प्रशासनिक अमला कोई सहयोग नहीं दे रहा है। यहां पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा साफ-सफाई कराना आवश्यक है।
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