Jaunpur Live News Network
जौनपुर लाइव न्यूज नेटवर्क
मछलीशहर, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के जमुहर बाजार में अयोध्या से पधारे संत स्वामी मनीष शरण जी महराज ने पंचम दिवस श्रीमद्भागवत कथा में कथा यात्रा के दौरान भक्तों को कथा रस मे सराबोर करते हुए कहा कि मानव के जीवन में अनजाने में जो पाप हो जाते हैं। उन पापों के निवाणान के लिए व्यक्ति को अपने-अपने घर में चार प्रकार के यज्ञ करने व करने चाहिए जिसमें पहला यज्ञ (अग्नि यज्ञ) महराज जी ने कथा को समझाते हुए आगे कहा कि जब बुजुर्ग माताएं पहले भोजन बनाती थी तो आंटे का एक टुकड़ा तवे पर डाल देती थी और जब वह पक जाये तो उसे आग में डाल दिया जाता था उसी को अग्नि यज्ञ कहा जाता हैं। दूसरा यज्ञ गौ यज्ञ पहली रोटी तैयार हो तो उसे गाय के लिये दिया जाता था, तीसरा यज्ञ स्वान यज्ञ अंतिम रोटी कुत्ते के लिये होता था और रोटी के तैयार हो जाने पर जो आंटा बचा हुआ होता था उसे चींटी की मांद मे डाल दिया जाता था इसी को चौथा यज्ञ पिपीलिका यज्ञ कहते हैं। महराज जी ने कहा कि आज इस नये युग के लोग अपने पूर्वजों के विचारों पर ध्यान ही नहीं रखते शायद यही कारण हैं कि हम और हमारा समाज अपने धर्म अपने पथ से भटकते जा रहे हैं। अगर घर-घर में ये चार प्रकार के यज्ञ होने लगे और पवित्रता पूर्वक हर घर में वैष्णवता के साथ भगवान का भोग बने तो निश्चित ही हमारे द्वारा जाने अनजाने में हुए प्रतिदिन के पाप नष्ट हो जाते हैं। इस अवसर पर भक्तो की भारी भीड़ एकत्रित हो रही है।
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मछलीशहर, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के जमुहर बाजार में अयोध्या से पधारे संत स्वामी मनीष शरण जी महराज ने पंचम दिवस श्रीमद्भागवत कथा में कथा यात्रा के दौरान भक्तों को कथा रस मे सराबोर करते हुए कहा कि मानव के जीवन में अनजाने में जो पाप हो जाते हैं। उन पापों के निवाणान के लिए व्यक्ति को अपने-अपने घर में चार प्रकार के यज्ञ करने व करने चाहिए जिसमें पहला यज्ञ (अग्नि यज्ञ) महराज जी ने कथा को समझाते हुए आगे कहा कि जब बुजुर्ग माताएं पहले भोजन बनाती थी तो आंटे का एक टुकड़ा तवे पर डाल देती थी और जब वह पक जाये तो उसे आग में डाल दिया जाता था उसी को अग्नि यज्ञ कहा जाता हैं। दूसरा यज्ञ गौ यज्ञ पहली रोटी तैयार हो तो उसे गाय के लिये दिया जाता था, तीसरा यज्ञ स्वान यज्ञ अंतिम रोटी कुत्ते के लिये होता था और रोटी के तैयार हो जाने पर जो आंटा बचा हुआ होता था उसे चींटी की मांद मे डाल दिया जाता था इसी को चौथा यज्ञ पिपीलिका यज्ञ कहते हैं। महराज जी ने कहा कि आज इस नये युग के लोग अपने पूर्वजों के विचारों पर ध्यान ही नहीं रखते शायद यही कारण हैं कि हम और हमारा समाज अपने धर्म अपने पथ से भटकते जा रहे हैं। अगर घर-घर में ये चार प्रकार के यज्ञ होने लगे और पवित्रता पूर्वक हर घर में वैष्णवता के साथ भगवान का भोग बने तो निश्चित ही हमारे द्वारा जाने अनजाने में हुए प्रतिदिन के पाप नष्ट हो जाते हैं। इस अवसर पर भक्तो की भारी भीड़ एकत्रित हो रही है।
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