Jaunpur Live News Network
जौनपुर लाइव न्यूज नेटवर्क
प्रसव कराने से कतराती हैं महिलाएं, उनके परिजन
केराकत, जौनपुर। भारत सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा करोड़ों खर्च कर स्वस्थ्य भारत की कल्पना सरकार द्वारा की जा रही है, पर विभागीय त्रुटि या अनदेखी के चलते इन कल्पनाओं का पूरा होना कोरा सपना लगता है। हम बात कर रहे है सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र केराकत की जो कि फस्र्ट रेफर यूनिट है पर इस केंद्र पर अभी तक कोई महिला डॉक्टर प्रसव कराने को उपलब्ध नहीं है। यहां प्रसव कराने के लिए एक मात्र पुरुष चिकित्सक डॉ. योगेंद्र है क्या यह महिलाओं की निजता का हनन नहीं है? क्या ऐसे में महिलाओं की निजता की धज्जियां नहीं उड़ाई जा रहीं। ऐसा नहीं हैं कि पुरुष चिकित्सक अपने कर्तव्य में परायणता नहीं दिखाते पर महिला चिकित्सक के जगह पुरुष चिकित्सक का होना यहां महिलाओं पर अभिशाप व असुविधा का कारण बनता है। यहां कितनी महिलाएं अपना इलाज कराने आने से कतराती है क्योंकि उनका इलाज पुरुष चिकित्सक करते हैं जो कुछ महिलाएं यहां प्रसव या इलाज कराने आती है वो भी पुरुष चिकित्सक को देख उल्टे पैर मजबूरी में न चाहते हुए निजी चिकित्सालयों में चली जाती है जो महिला मरीज या जननी आर्थिक रूप से काफी कमजोर होतीं है वो ही मजबूरी में अपना इलाज या प्रसव यहां करातीं है। एक वर्ग विशेष के लोगों से पूछने पर बताया गया कि हम अपनी बहन, बेटियों व बहुओं को पर्दे में रखते है तो पुरुष चिकित्सक से कैसे प्रसव करवाएं? सूत्रों की मानें तो ऐसा पाया जाता हैं कि एक वर्ग विशेष की औरतों का प्रसव काफी कम संख्या में यहां किया जाता है। कारण सिर्फ एक पुरुष चिकित्सक।
नगर से लेकर ग्रामीण इलाकों से जायजा लेने के बाद इस तथ्य को सही पाया गया। काफी लोग प्रसव विभाग में पुरुष चिकित्सक होने से काफी नाराज लगें। कई ने तो बताया के हम अपनी घर की महिलाओं को जिला लेकर चले जातें है। क्या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र केराकत (एफआरयू) होने का कोई औचित्य है? जब सभी जननियां अपनी निजता को लेकर असहज महसूस करेंगी तो वो प्रसव कैसे कराएंगी? क्या स्वास्थ्य विभाग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र केराकत (एफआरयू) पर एक महिला चिकित्सक की तैनाती नहीं कर सकता। क्षेत्र के इतने संख्या में महिला मरीजों का इस सेंटर पर आना-जाना लेकिन निजता की उड़ती धज्जियों से आहत महिला इधर-उधर का रास्ता देखने को मजबूर क्या स्वास्थ्य विभाग महिलाओं की इस समस्या से समय रहते निजात दिला पायेगा। ऐसा न हो क्षेत्र की महिला वोटर अपना गुस्सा मतदान में दिखाएं।
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प्रसव कराने से कतराती हैं महिलाएं, उनके परिजन
केराकत, जौनपुर। भारत सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा करोड़ों खर्च कर स्वस्थ्य भारत की कल्पना सरकार द्वारा की जा रही है, पर विभागीय त्रुटि या अनदेखी के चलते इन कल्पनाओं का पूरा होना कोरा सपना लगता है। हम बात कर रहे है सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र केराकत की जो कि फस्र्ट रेफर यूनिट है पर इस केंद्र पर अभी तक कोई महिला डॉक्टर प्रसव कराने को उपलब्ध नहीं है। यहां प्रसव कराने के लिए एक मात्र पुरुष चिकित्सक डॉ. योगेंद्र है क्या यह महिलाओं की निजता का हनन नहीं है? क्या ऐसे में महिलाओं की निजता की धज्जियां नहीं उड़ाई जा रहीं। ऐसा नहीं हैं कि पुरुष चिकित्सक अपने कर्तव्य में परायणता नहीं दिखाते पर महिला चिकित्सक के जगह पुरुष चिकित्सक का होना यहां महिलाओं पर अभिशाप व असुविधा का कारण बनता है। यहां कितनी महिलाएं अपना इलाज कराने आने से कतराती है क्योंकि उनका इलाज पुरुष चिकित्सक करते हैं जो कुछ महिलाएं यहां प्रसव या इलाज कराने आती है वो भी पुरुष चिकित्सक को देख उल्टे पैर मजबूरी में न चाहते हुए निजी चिकित्सालयों में चली जाती है जो महिला मरीज या जननी आर्थिक रूप से काफी कमजोर होतीं है वो ही मजबूरी में अपना इलाज या प्रसव यहां करातीं है। एक वर्ग विशेष के लोगों से पूछने पर बताया गया कि हम अपनी बहन, बेटियों व बहुओं को पर्दे में रखते है तो पुरुष चिकित्सक से कैसे प्रसव करवाएं? सूत्रों की मानें तो ऐसा पाया जाता हैं कि एक वर्ग विशेष की औरतों का प्रसव काफी कम संख्या में यहां किया जाता है। कारण सिर्फ एक पुरुष चिकित्सक।
नगर से लेकर ग्रामीण इलाकों से जायजा लेने के बाद इस तथ्य को सही पाया गया। काफी लोग प्रसव विभाग में पुरुष चिकित्सक होने से काफी नाराज लगें। कई ने तो बताया के हम अपनी घर की महिलाओं को जिला लेकर चले जातें है। क्या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र केराकत (एफआरयू) होने का कोई औचित्य है? जब सभी जननियां अपनी निजता को लेकर असहज महसूस करेंगी तो वो प्रसव कैसे कराएंगी? क्या स्वास्थ्य विभाग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र केराकत (एफआरयू) पर एक महिला चिकित्सक की तैनाती नहीं कर सकता। क्षेत्र के इतने संख्या में महिला मरीजों का इस सेंटर पर आना-जाना लेकिन निजता की उड़ती धज्जियों से आहत महिला इधर-उधर का रास्ता देखने को मजबूर क्या स्वास्थ्य विभाग महिलाओं की इस समस्या से समय रहते निजात दिला पायेगा। ऐसा न हो क्षेत्र की महिला वोटर अपना गुस्सा मतदान में दिखाएं।
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