Jaunpur Live News Network
जौनपुर लाइव न्यूज नेटवर्क
चंदवक, जौनपुर। क्षेत्र के मचहटी गांव में विजय नरायन सिंह के यहां आयोजित सप्त दिवसीय श्री मद्भागवत कथा, मचहटी के विजय नरायन सिंह के तीसरे दिन डॉ. उमाशंकर त्रिपाठी व्यासेंद्र जी ने बताया कि ईश्वर को पाने के लिए प्रह्लाद जी जैसी भक्ति करनी होगी।
प्रह्लाद जी को उद्धत करते हुए कहा कि श्री प्रहलाद जी महाराज का बचपन से ही भगवान की भक्ति में मन रम गया था। प्रहलाद जी स्वयं आनंद की मूर्ति थे। पिता के मना करने पर भी भगवान का नाम लेना नहीं छोड़ा। भगवान के सच्चे भक्तों को सांसारिक सुखों की चाह नहीं होती है। भले ही मुसीबतों का पहाड़ सिर पर क्यों न गिर जाए। फिर भी वह कभी आह नहीं करते। पिता हिरणाकश्यप ने नाना प्रकार के जुल्म ढहाकर भगवान भक्ति से रोकने का असफल प्रयास किया। पिता एक दिन क्रोधित होकर प्रहलाद से कहने लगा। बोल तेरा राम कहां है। प्रहलाद जी ने कहा कि मेरा राम सब जगह विद्यमान है। फिर हिरणाकश्यप ने कहा कि खंभे में भी है। तब प्रहलाद जी ने कहा जी पिताजी जैसे ही खंभे पर असुर ने प्रहार किया, नरसिंह भगवान प्रगट हो गए और हिरणाकश्यप को मारकर प्रहलाद जी को बचा लिया। प्रहलाद जैसा भक्त दुर्लभ है। इस प्रकार भगवान सच्चे भक्तों को ही दर्शन देते है। कथा का श्रवण टीएन राय, सूर्य प्रकाश सिंह, विजय बहादुर सिंह, इंदु प्रकाश सिंह, अमरजीत सिंह, पवन सिंह, प्रकाश सिंह, जगदीश सिंह, जनक राय आदि गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
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चंदवक, जौनपुर। क्षेत्र के मचहटी गांव में विजय नरायन सिंह के यहां आयोजित सप्त दिवसीय श्री मद्भागवत कथा, मचहटी के विजय नरायन सिंह के तीसरे दिन डॉ. उमाशंकर त्रिपाठी व्यासेंद्र जी ने बताया कि ईश्वर को पाने के लिए प्रह्लाद जी जैसी भक्ति करनी होगी।
प्रह्लाद जी को उद्धत करते हुए कहा कि श्री प्रहलाद जी महाराज का बचपन से ही भगवान की भक्ति में मन रम गया था। प्रहलाद जी स्वयं आनंद की मूर्ति थे। पिता के मना करने पर भी भगवान का नाम लेना नहीं छोड़ा। भगवान के सच्चे भक्तों को सांसारिक सुखों की चाह नहीं होती है। भले ही मुसीबतों का पहाड़ सिर पर क्यों न गिर जाए। फिर भी वह कभी आह नहीं करते। पिता हिरणाकश्यप ने नाना प्रकार के जुल्म ढहाकर भगवान भक्ति से रोकने का असफल प्रयास किया। पिता एक दिन क्रोधित होकर प्रहलाद से कहने लगा। बोल तेरा राम कहां है। प्रहलाद जी ने कहा कि मेरा राम सब जगह विद्यमान है। फिर हिरणाकश्यप ने कहा कि खंभे में भी है। तब प्रहलाद जी ने कहा जी पिताजी जैसे ही खंभे पर असुर ने प्रहार किया, नरसिंह भगवान प्रगट हो गए और हिरणाकश्यप को मारकर प्रहलाद जी को बचा लिया। प्रहलाद जैसा भक्त दुर्लभ है। इस प्रकार भगवान सच्चे भक्तों को ही दर्शन देते है। कथा का श्रवण टीएन राय, सूर्य प्रकाश सिंह, विजय बहादुर सिंह, इंदु प्रकाश सिंह, अमरजीत सिंह, पवन सिंह, प्रकाश सिंह, जगदीश सिंह, जनक राय आदि गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
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