देखिए मछलीशहर लोकसभा सीट का इतिहास, सिर्फ जौनपुर लाइव पर





टीम जौनपुर लाइव
जौनपुर जिले में कुल दो लोकसभा सीट है पहला जौनपुर सदर और दूसरा मछलीशहर। 1962 में जिले की तीन विधानसभा मछलीशहर, गढ़वारा, खुटहन एवं प्रतापगढ़ जनपद के दो विधानसभा बीरापुर और पट्टी को मिलाकर गठित मछलीशहर लोकसभा का इतिहास बड़ा ही रोचक रहा। क्षेत्र की जनता ने सभी दल के नेताओं को सम्मान दिया लेकिन किसी भी दल के नेता को हैट्रिक लगाने का मौका नहीं दिया। कांग्रेस ने इस लोकसभा सीट पर 15 वर्षों तक एकक्षत्र राज जरुर किया था लेकिन इस दौरान कांग्रेस के दो नेता गणपत राम को एक बार और नागेश्वर द्विवेदी को दो बार लगातार संसद पहुंचाकर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का अवसर दिया। शिवशरण वर्मा हैट्रिक लगाने फिराक में जरुर थे लेकिन जनता ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया और वे हैट्रिक लगाने से वंचित रह गये।

आजादी के बाद 1952 में मछलीशहर केवल विधानसभा सीट थी और इलाहाबाद के फूलपुर लोकसभा में शामिल थी। इस दौरान आजादी के बाद हुए पहले आम चुनाव 1952 में पंडित जवाहरलाल नेहरु  इस लोकसभा से कांग्रेस के प्रत्याशी थे। तब क्षेत्र की जनता को देश का प्रथम प्रधानमंत्री चुनने का गौरव प्राप्त हुआ था जो कि इतिहास में गौरवशाली क्षण था। इसके बाद दूसरी लोकसभा के चुनाव 1957 में पंडित जवाहर लाल नेहरु पुन: इस सीट से मैदान में उतरे तो क्षेत्र की जनता उन्हें पुन: चुनकर संसद में भेज दिया। इसके बाद 1962 में मछलीशहर लोकसभा का गठन होने के बाद कांग्रेस नेता गणपत राम क्षेत्र के पहले सांसद हुए। गणपत राम ने कांग्रेस के जीत की जो नींव रखी वह 15 वर्षों तक कायम रही। गणपत राम के बाद कांग्रेस ने 1967 में नागेश्वर द्विवेदी पर विश्वास करते हुए जनता के बीच भेजा तो जनता ने उस पर अपनी मुहर लगाकर संसद भेज दिया। 1972 में कांग्रेस ने पुन: उन पर अपना विश्वास जताया तो जनता ने एक बार फिर उन्हें संसद में भेजने का अवसर दिया। 1977 में पहली बार राजनीति करवट ले ली और भारतीय लोक दल के प्रत्याशी राजकेशर सिंह कांग्रेस की लगातार मजबूत हो रही नींव को उखाड़कर पहली बार गैर कांग्रेसी सांसद होने का गौरव हासिल करते हुए इतिहास रच दिया।

1980 के लोकसभा के चुनाव में जनता पार्टी सेकुलर के नेता शिवशरण वर्मा को क्षेत्र की जनता संसद में भेजकर अपना प्रतिनिधित्व करने का अवसर दे दिया। कांगेस की लगातार हिल रही नीव को देखते हुए कांग्रेस पार्टी ने बड़ा दाव खेलते हुए पूर्व मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्रा को 1984 के आम चुनाव में अपना प्रत्याशी बनाया तो जनता ने उन पर अपना विश्वास जताते हुए एक बार पुन: अपना प्रतिनिधित्व करने का अवसर देते हुए संसद में भेज दिया। 1989 में क्षेत्र की राजनीति फिर से करवट ले ली और जनता दल के प्रत्याशी के रूप में शिवशरण वर्मा चुनाव मैदान में उतरे तो जनता ने उन्हें जीता कर संसद भेज दिया। उन्होंने न केवल चुनाव जीतकर कांग्रेस की नींव हिला दी बल्कि 1989 व 1991 में लगातार दो बार संसद में पहुंचने का सौभाग्य प्राप्त किया। 1996 के आम चुनाव में भाजपा नेता डा. रामविलास वेदांती ने सभी को पटखनी देते हुए पहली बार भाजपा का झंडा फहराते हुए संसद पहुंचे।

1998 में भाजपा ने रामविलास के बजाय स्वामी चिन्म्यानंद पर अपना विश्वास जताते हुए प्रत्याशी बनाया तो जनता ने भाजपा के फैसले पर अपनी मुहर लगाते हुए संसद में भेज दिया। 1999 में लोकसभा की राजनीति फिर करवट ली। क्षेत्र की जनता ने सपा के प्रत्याशी चंद्रनाथ (सीएन) सिंह को अपना चहेता बनाते हुए संसद भेज दिया। 2004 के चुनाव में जनता ने अपना फैसला सुनाते हुए सपा नेता सीएन सिंह को रोककर बसपा के पक्ष में अपनी मुहर लगाते हुए उमाकांत यादव को अपना सांसद चुन दिया। 2009 में क्षेत्र की राजनीति ही बदल गई। सामान्य सीट से मछलीशहर सुरक्षित सीट घोषित हो गई। जिसके बाद 2009 में सपा ने सैदपुर के सांसद तूफानी सरोज को मछलीशहर का प्रत्याशी बनाया तो जनता ने उन्हें सुरक्षित सीट से पहली बार संसद में भेजकर इतिहास रचने का मौका दे दिया लेकिन 2014 के चुनाव में जनता उन्हें पुन: मौका देने के बजाय भाजपा की लहर में रामचरित्र निषाद को संसद भेज दिया।

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