#JaunpurLive : सात जन्मों का वादा कर 21 दिन में 'बंधन' तोड़ गये विशाल अग्रहरि रूद्राक्ष



  • सड़क दुर्घटना में मौत के बाद परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
  • 21 दिन पहले हुई थी शादी, पत्नी का रो—रोकर बुरा हाल

#TeamJaunpurLive
जौनपुर। सात जन्मों तक वादा निभाने के बाद जब कोई 21 दिन में ही अपनी 'बंधन' तोड़कर इस दुनिया से चला जाय तो जीवनसाथी पर क्या गुजरती होगी हम इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। कोई ढांढस भी बधायें तो क्या कहे? हर तरफ चीख पुकार रोना—पीटना मचा था। हर युवा के चेहरे पर उदासी थी। हजारों की संख्या में लोग उसके घर पर थे उसमें अधिकतर युवाओं के मायूस चेहरे और सबकी आंखें नम थी। कम समय में अपने कार्यों और अपने व्यक्तितव के चलते कुछ इस तरह ही अपना नाम अमर कर गये विशाल। जी हां! हम विशाल अग्रहरि रूद्राक्ष की बात कर रहे है जिनकी सड़क दुर्घटना में मौत हो गयी।

गौरतलब हो कि नगर कोतवाली क्षेत्र के सब्जीमण्डी निवासी विशाल अग्रहरि रूद्राक्ष 29 वर्ष हिन्दू युवा वाहिनी के पूर्व जिलाध्यक्ष थे। वह भारतीय जनता पार्टी के युवा नेता भी थे। अपने मृदुलभाषी स्वभाव और सनातनी व्यक्तित्व के कारण युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत थे। रविवार को वाराणसी से बाबा कालभैरव और मारकण्डेय महादेव दर्शन करने बाइक से अपने दोस्तों के साथ गये थे। वापस लौटते समय बड़ागांव के पास काजीसराय के समीप सड़क दुर्घटना के शिकार हो गये जिसमें उनकी मौत हो गयी। यह खबर जैसे ही जिले में पहुंची उनके चाहने वालों और हजारों युवाओं को जैसे सदमा सा लग गया हो। लोगों ​को विश्वास नहीं हो रहा था ऐसा कैसे हो सकता है? युवाओं का क्या वह आज याद कर रहे है कुछ दिन बाद उतना दुख नहीं रह जाएगा लेकिन उनकी पत्नी बंधन अग्रहरि का क्या जिनसे विशाल अग्रहरि रूद्राक्ष ने 21 दिन पहले यानी 7 जुलाई 2019 को 7 जन्मों तक साथ रहने का वादा किया था। उन पर क्या बीत रही है इसकी कल्पना भी हम नहीं कर सकते। लोग उन्हें सांत्वना भी दें तो क्या कहे? उन्हें देखकर हर किसी की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहा था। विशाल के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। रात में जब घर शव पहुंचा तो लोग शव से लिपटकर दहाड़े मारकर रोने लगे। उनके घर पर संवेदना प्रकट करने वालों का तांता लगा था। हजारों की संख्या में युवा भी वहां मौजूद थे जो यह बयां कर रहे थे कि विशाल के चाहने वालों की संख्या बहुत है। बहुत सारे वहां लोग वहां पहुंच भी नहीं पाये। जैसे—तैसे करके रात बीती और सुबह जबर्दस्ती शव से महिलाओं को हटाकर अपने दिल पर पत्थर रखकर सैकड़ों की संख्या में लोग रामघाट पहुंचे जहां पर विशाल अग्रहरि का अंतिम संस्कार हुआ। उनके बड़े भाई रंजीत अग्रहरी ने उन्हें मुखाग्नि दी। सबको बस एक ही बात कचोट रही है कि आखिर भगवान ने इतना बड़ा अनर्थ कैसे कर दिया?



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