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किताबें नहीं, यहां तो तस्वीर बोलती हैं। थोड़ी सी सोच बदली... बदलते वक्त को आत्मसात किया और बन गया एक मिसाल। परिषदीय स्कूल भले ही गांव में है मगर यहां पर बच्चों को आधुनिक तकनीक से शिक्षा दी जा रही है बच्चों को सिखाने के लिए मोबाइल एप्लीकेशन का सहारा लिया जा रहा है मोबाइल फोन के स्क्रीन पर उभरती तस्वीर में कैरेक्टर अपने खासियत बताते हैं। इस तकनीक से निर्जीव चित्र भी जीवंत हो उठते हैं।

विकासखंड केराकत के अंग्रेजी माध्यम प्राथमिक विद्यालय बांसबारी साधारण सरकारी विद्यालय है लेकिन प्रधानाध्यापक की शिक्षा के क्षेत्र में नयी पहल ने विद्यार्थियों के सोचने के तरीके को ही बदल दिया है। खेल-खेल में बच्चे बेहतर सीख रहे हैं। इसके लिए प्रधानाध्यापक वीरेंद्र प्रताप यादव ने हाईटेक तरीके का इस्तेमाल किया है ऑनलाइन प्ले स्टोर से मोबाइल एप्लीकेशन जुकाजैम खरीदा है। थ्री-डी तकनीक पर काम करने वाले इस एप्लीकेशन में बच्चों की शिक्षा से संबंधित कुछ जंगली जानवर, पक्षी, हिंदी अंग्रेजी वर्णमाला के साथ शरीर के अंगों के चित्र जानवरों एवं पक्षियों की आवाजें शामिल है। मोबाइल पर एप्लीकेशन को जैसे ही रन कराया जाता है स्क्रीन पर उसमें स्टोर कैरेक्टर किताबों से बाहर जमीन पर उतर आते हैं। प्रधानाध्यापक वीरेन्द्र प्रताप यादव ने एंड्रॉयड मोबाइल फोन पर इंटरनेट की मदद से कुछ रुपए में प्ले स्टोर से एप्स खरीद कर उसे डाउनलोड कर लिया है। जैसे ही एप्लीकेशन पर क्लिक किया जाता है। स्क्रीन पर अलग-अलग जानवरों एवं पक्षियों की लिस्ट सामने आ जाती है। किसी भी चित्र पर क्लिक करने पर जानवर बाहर चिकनी सतह पर जीवंत रूप में मूवमेंट करने लगते हैं और ऑडियो बटन पर क्लिक करते ही अपनी खासियत भी बताते हैं। प्रतिदिन इसकी सहायता से विद्यालय में पंजीकृत कुल 170 बच्चों को आधुनिक धन से पढ़ाई कराई जा रही।
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