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गोमती का पानी दूषित हो गया है। पानी एकदम काला पड़ चुका है और उससे दुर्गंध उठती रहती है। ऐसे पानी को पीने की कल्पना तक नहीं की जा सकती है। पानी में भारी धातुओं के चलते गोमती के तटवर्ती गांवों के भूजल के दूषित होने का भी खतरा पैदा हो गया है। लोगों का कहना है कि दूषित पानी इलाके में बीमारियों का सबब बना हुआ है लेकिन प्रशासन ने उसकी जांच कराने और बचाव के उपाय की कोई पहल नहीं की है।
गोमती नदी जिले में तकरीबन 70 से 80 किमी की एरिया से होकर गंगा नदी में मिल जाती है। संकट मोचन फाउंडेशन ने पानी की जांच कराई थी। उसमें पानी में भारी धातुओं की बड़ी मात्रा पाई गई थी। आर्सेनिक और अन्य भारी धातुओं मात्रा खतरनाक स्तर पर पाई गई थी। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इन धातुओं की मात्रा को नियंत्रित नहीं किया गया तो कैंसर जैसी बीमारियों का सबब बन सकती हैं।
लोगों का कहना है कि नदी के प्रदूषण ने आस पास के गांवों में पीने के पानी को जहर बना दिया है। इससे फसलेें भी चौपट हो रही हैं। जौनपुर शहर हनुमान घाट की चांदी रिफाइनरी से निकलने वाला तेजाब भी नदी में ही बहता रहता है। तमाम विरोध के बावजूद अब तक जिला प्रशासन इस समस्या को गंभीरता से नहीं ले रहा है। नदी में लोग मरे हुए पशु व उनके अपशिष्ट भी डालते हैं।
स्वच्छ गोमती अभियान के अध्यक्ष गौतम गुप्ता का कहना है कि एक साल पूर्व जल का परीक्षण कराया गया था, जिसकी रिपोर्ट तत्कालीन जिला प्रशासन को भी सौंपी गई थी। चिंताजनक स्थिति सामने आई थी लेकिन प्रशासन ने कोई उपाय नहीं किया। फिजीशियन डा. बीएस उपाध्याय का कहना है कि गोमती के किनारे के गांवों में लीवर और पेट की बीमारियों के मरीज आ रहे हैं। हड्डी की बीमारियां भी हैं।
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