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जनपद के पश्चिमी छोर पर स्थित ऐतिहासिक शक्ति पीठ गौरी शंकर धाम सुजानगंज श्रद्धालुओं के लिए आस्था और विश्वास का केंद्र बन गया है। मंदिर में स्थित शिव¨लग स्वयंभू और कालातीत होने के साथ-साथ अर्द्धनारीश्वर के रूप मे है। चौदहवीं सदी में जब यहां भरों का राज था उसी कालखंड में यह मंदिर अस्तित्व में आया। उल्लेखनीय है यह मंदिर टीले पर स्थित है।
चौदहवीं सदी के प्रारंभिक वर्षो की बात है पड़ोस की एक पालतू गाय चरते चरते आ गई। देर शाम वह वापस नहीं लौटी तो स्वामी तलाश करते- करते टीले पर आया तो देखा गाय झाड़ी में खड़ी है और उसके स्तन से दूध निकल कर काले पत्थर पर गिर रहा है। गाय के स्वामी ने जब इसकी चर्चा लोगों से की तो लोग खुदाई कर सच्चाई जानना चाहे तो स्वप्न हुआ कि मेरी खुदाई मत करो वहीं एक मंदिर बनवा दो। फिर क्या था तत्कालीन व्यवस्था के अनुसार मंदिर का निर्माण कराया दिया गया। तब से मंदिर की ख्याति दिन दूनी रात चौगुनी गति से बढ़ने लगी। समय-समय पर मंदिर का भौतिक विकास भी होने लगा। बगल में एक और वैष्णव मंदिर की स्थापना हो गई।
ऐसी मान्यता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मन्नतें अवश्य पूरी होती हैं। मंदिर में आरती के समय जो घंटा बजता है उसके ध्वनि जितनी दूर तक (लगभग 5 किमी चतुर्दिक) जाती है उतनी दूर तक कोई भयानक प्राकृतिक आपदा नहीं आती है।
गौरी शंकर धाम सुजानगंज जनपद मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर मछलीशहर- सुजानगंज मार्ग पर सुजानगंज से लगभग 150 मीटर पूरब स्थित है। यहां आने के लिए जौनपुर से वाया सिकरारा -मछलीशहर प्राइवेट साधन मिलते रहते हैं। मुंगराबादशाहपुर और बदलापुर से सुजानगंज के लिए परिवहन की बसों के अलावा प्राइवेट साधन भी आते-जाते रहते हैं। प्रतापगढ़ की तरफ से भी वाया बादशाहपुर के अलावा जामताली बीजापुर जगनीपुर बेलवार होते हुए सुजानगंज के लिए प्राइवेट साधन समय समय पर मिलते रहते हैं।
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