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केराकत, जौनपुर। किसानों के बेहतरी व उनके आय को दुगना करने के लिए लाखों करोड़ों खर्च कर उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक करोड़ों रु पए विद्युत विभाग पर खर्च कर सिंचाई के लिए अनुकूल परिस्थिति बनाने में प्रयत्नशील है, पर कुछ जिम्मेदार अधिकारी एवं कर्मचारियों द्वारा सरकार के इस प्रयास पर पानी फिरता दिख रहा है।
ताजा सर्कुलर के अनुसार नगरीय क्षेत्रों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में 18 घंटे विद्युत देने का सर्कुलर जारी किया गया है क्योंकि धान की रोपाई का समय हो गया है। इस वक्त किसानों के खेतों के लिए काफी मात्रा में पानी की आवश्यकता है। पर प्रशासन शासन द्वारा किसानों को 7 घंटे भी बिजली मुहैया नहीं कराई जा रही है। केराकत क्षेत्र के लगभग सभी ग्रामीण क्षेत्रों का यही हाल है। दिशापुर (बजरंगनगर) फीडर, खडहर डगरा, नईबाजार फीडर की स्थिति तो और ही दयनीय है। इस फीडरों पर लगभग 10 हजार छोटे बड़े किसान निर्भर है। अकेले बजरंगनगर दिशापुर मुख्य फीडर के दिशापुर फीडर से 64 गांव जुड़े है जिसमें 3200 किसान प्रभावित होते है वहीं ब्रााहृणपुर फीडर के 78 ग्राम जिनमें 3900 किसान निर्भर है। इन फीडरों नें विद्युत न आने और कटौती के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। इन फीडरों से विद्युत दिया तो जा रहा है पर पर किसान को पम्प से खेत में पानी पहुंचने के पहले कट जा रही है। इससे खेतों में भरपूर पानी तो छोड़िए पानी पहुंच भी नहीं रहा है। पानी न मिलने पर किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाएगा। तब इसकी जिम्मेदारी लेने के लिए कौन आगे आएगा? वो जो सर्कुलर के बावजूद बिजली नियमित न देने वाले कर्मचारी, अधिकारी या बड़े बड़े वादे करके जनता को भूलने वाले जनप्रतिनिधि? इससे सरकार के प्रति किसान काफी रोष में है। किसानों को रात भर जागकर सिंचाई के लिए विद्युत की प्रतीक्षा करनी पड़ रही है। इसके बावजूद विद्युत अपने समय से नहीं आ रही है। इस कारण किसानों में हताशा और निराशा देखी जा रही है। इसे विभागीय अनदेखी कहे या सरकार के प्रति विभागीय निराशा या उदासीनता किसानों के लिए क्या उपाय करती है?
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