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जौनपुर : जौनपुर तो खुद है ऐतिहासिक धरोहरों का चमन, इसे चाहिए दूसरों से नूर कहां। यह लाइनें जौनपुर की ऐतिहासिक धरोहर पर सटीक बैठती है। यहां पर तमाम धरोहर अपना गौरवशाली इतिहास बयां कर रही है। मगर वर्तमान समय में इनकी इमारते दरक रही है। सरकारी सहायता व पुरातत्व विभाग की उदासीनता के कारण इनका अस्तित्व खतरें में है। जनपद की स्थापत्य कला विश्व में हिंदू व मुस्लिम कला का सर्वश्रेष्ठ नमूना है। पर्यटन की दृष्टि से शैलानियों को आकर्षित करने के लिए जिले में धरोहरों के साथ तमाम मशहूर तीर्थ स्थल है।
महर्षि यमदग्निपुरम पुरम की तपोस्थली व शर्की शासनकाल में यह राजधानी रहा है। तुगलक वंश के पतन के बाद फिरोजशाह तुगलक के काल में जौनपुर का नाम अवनीपुर से जौनपुर हो गया और उसके मरने के बाद जौनपुर इब्राहिम शाह शर्की के काल में स्वतंत्र राज्य हो गया। इस दौरान जौनपुर का शाही किला, अटाला मस्जिद, झंझरी मस्जिद, शाह का पंजा नाथुपुर का निर्माण कराया गया। इसके अलावा शाही पुल, लाल दरवाजा, महर्षि यमदग्नि तपोस्थल, जयचन्द्र के किले का भग्नावशेष, सगरे का कोट सहित काफी ऐतिहासिक धरोहरे है। इन धरोहरों की कुछ दीवार दरक रही है तो काफी मरम्मत के अभाव में खस्ताहाल हुए जा रही है। शर्की काल में जौनपुरी राग विकसित हुई। शाही मूली, जौनपुरी मक्का का विकास इस काल में हुआ। यहां के मक्तव्य और मदरसे विश्व शिक्षा के केंद्र बन गए व अरबी फारसी व उर्दू पढ़ने के लिए पूरे विश्व से यहां लोग आने लगे। जिससे यह भारतीय शिक्षा व सभ्यता का केंद्र बन गया।
पर्यटन की दृष्टि से
जौनपुर : जनपद को पर्यटन केंद्र घोषित करने के लिए जनपद में अपार संभावनाएं है। नगर के ऐतिहासिक स्थलों में प्रमुख रूप से अटाला मस्जिद, शाही किला, शाही पुल, झंझरी मस्जिद, बड़ी मस्जिद, चार अंगुल मस्जिद, लाल दरवाजा, महर्षि यमदग्नि तपोस्थल, जयचन्द्र के किले का भग्नावशेष, सगरे का कोट है। यहां पर शीतला चौकियां धाम, मैहर मंदिर, मड़ियाहूं का दिनावा महादेव मंदिर, मुंगराबादशाहपुर का काली मंदिर, सिकरारा का अजोशी, केराकत का काली मंदिर, पूर्वाचल व देश तीर्थ यात्रियों को अपनी ओर आकृष्ट करते है। जौनपुर के शाही पुल की गुमटियां व शहर के बीचों-बीच बहने वाली गोमती की धारा कश्मीर के श्रीनगर की याद दिलाता है। जहां झेलम शहर के बीचों बीच बहती है। वर्तमान समय में शिक्षा के प्रचार प्रसार में में वीर बहादुर सिंह पूर्वाचल विश्वविद्यालय है। यह सामान्य पाठ्यक्रम व व्यावसायिक शिक्षा भी चल रही है। यहां इंजीनियरिंग कालेज, आइटीआई का जाल बिछ गया है। मेडिकल कालेज बनाने के लिए मंजूरी मिल गई है।
पुनरोद्धार का पैसा हुआ वापस
जौनपुर: जनपद में जिलाधिकारी रह चुकी लीना नंदन जब छह वर्ष पूर्व केंद्रीय पर्यटन निदेशालय दिल्ली में पदारूढ़ हुई तो उन्होंने सुंदरीकरण के लिए पांच करोड़ रुपया अवमुक्त किया था। प्रथम किस्त खर्च करने के बाद कार्य बंद हो गया।
बड़े नेताओं ने भी नहीं किया कुछ
जौनपुर : जनपद में बड़े नेताओं की एक श्रृंखला रही है। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं.जवाहर लाल नेहरु के संसदीय क्षेत्र में मछलीशहर रहा है। रेल मंत्री व कांग्रेस अध्यक्ष पं कमलापति त्रिपाठी, कांग्रेस सांसद राजदेव सिंह, शिक्षा मंत्री हरगोविंद सिंह, न्याय मंत्री सैय्यद अली जहीर, जनसंघ के दिग्गज नेता व सांसद यादवेंद्र दत्त दूबे, भाजपा सरकार में मंत्री उमानाथ सिंह, व अन्य दिग्गज यहां से जनप्रतिनिधि रह चुके है। जिसकी केंद्र व प्रदेश की सरकारों में तूती बोलती रही। मगर इसके बाद भी जनपद को पर्यटन केंद्र घोषित नहीं कराया जा सका।
क्या कहते है इतिहासविद
इस बाबत इतिहासविद डा.सजल कुमार सिंह कहते है कि जौनपुर में पर्यटन के रुप में अपार संभावनाएं है। यहां हजारों ऐतिहासिक धरोहर जो अपनी सुंदरता के साथ इतिहास बयां कर रहा है। यह जनपद शिक्षा व तीर्थस्थल के दृष्टि लोगों को अपनी ओर आकृष्ट कर रहा है। सबकुछ होने के बाद भी इस प्रजातंत्र में जिले को पर्यटन केंद्र घोषित नहीं किया जा सका है।
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