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जौनपुर। नगर के बलुआघाट स्थित हाजी मोहम्मद अली के इमामबाड़े में मरहूम शेख अनवार हसन के 40वें की मजलिस हुई। जिसको खेताब करते हुए रुड़की हरिद्वार उत्तराखंड से आये मौलाना गुलाम अली खान ने कहा कि माहे मोहर्रम शुरू होने में बस कुछ दिन ही बचा है और अजादार अपने मौला की आमद की मेजबानी की लिए तैयारी में जुट गये है।
हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन ने कर्बला में अपने 72 साथियों के साथ कुर्बानी देकर इस्लाम को परवान चढ़ाया था। आज पूरी दुनियां में इमाम हुसैन का गम मनाया जाता है क्योंकि उन्होंने पूरी इंसानियत को बचाने के लिये शहादत दी। इस्लाम ने हमेशा दूसरों की मदद करने की सीख देता है हमे उसी रास्ते पर चलने की जरुरत है। इसके पूर्व सोजख्वानी सैय्यद गौहर अली जैदी व उनके हमनवां ने पढ़ा जबकि पेशखानी शोला जौनपुरी, शोहरत जौनपुरी सैय्यद नादिर अली नन्हे व नौहाख्वानी अंजुमन गुलशने इस्लाम ने मातम व नौहेखान तनवीर जौनपुरी ने पढ़ा। इस मौके पर मो. हैदर हनी, पत्रकार सै. हसनैन कमर दीपू ने सभी का आभार प्रकट किया।
जौनपुर। नगर के बलुआघाट स्थित हाजी मोहम्मद अली के इमामबाड़े में मरहूम शेख अनवार हसन के 40वें की मजलिस हुई। जिसको खेताब करते हुए रुड़की हरिद्वार उत्तराखंड से आये मौलाना गुलाम अली खान ने कहा कि माहे मोहर्रम शुरू होने में बस कुछ दिन ही बचा है और अजादार अपने मौला की आमद की मेजबानी की लिए तैयारी में जुट गये है।
हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन ने कर्बला में अपने 72 साथियों के साथ कुर्बानी देकर इस्लाम को परवान चढ़ाया था। आज पूरी दुनियां में इमाम हुसैन का गम मनाया जाता है क्योंकि उन्होंने पूरी इंसानियत को बचाने के लिये शहादत दी। इस्लाम ने हमेशा दूसरों की मदद करने की सीख देता है हमे उसी रास्ते पर चलने की जरुरत है। इसके पूर्व सोजख्वानी सैय्यद गौहर अली जैदी व उनके हमनवां ने पढ़ा जबकि पेशखानी शोला जौनपुरी, शोहरत जौनपुरी सैय्यद नादिर अली नन्हे व नौहाख्वानी अंजुमन गुलशने इस्लाम ने मातम व नौहेखान तनवीर जौनपुरी ने पढ़ा। इस मौके पर मो. हैदर हनी, पत्रकार सै. हसनैन कमर दीपू ने सभी का आभार प्रकट किया।
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