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जौनपुर : मछलीशहर-एक समय था जब सईं नदी से सटे उपजाऊ मिट्टी वाले क्षेत्र में लोगो द्वारा अपनी कन्याओं का विवाह करने की होड़ लगी रहती थी।किन्तु अब इस इलाके में स्थापित ईंट उद्योग ने समीकरण ही बदल दिया है।सई नदी के किनारे बसे सुजानगंज, बरईपार से लेकर
बरगुदर तक के इलाके में उपजाऊ भूमि की खुदाई कर ईंट तैयार की जा रही हैं जिसके कारण उर्वर भूमि का दायरा सिमटता जा रहा है, जिसके कारण पैदावार प्रभावित हो रही है।
उक्त नदी के किनारे बसे गाँवो की भूमि बहुत ही उपजाऊ मानी जाती रही है।इस मिट्टी से बनी ईंट अच्छी मानक की मानी जाती है।सई नदी के किनारे बसे गाँवो में ईंट उद्योगों की भरमार है।ईट की पथाई में खेतों की मिट्टी का उपयोग किया जाता है।किसानों के खेतो को भट्ठा मालिक एक
निश्चित रकम देकर लेते है और उसकी मिट्टी तयशुदा गहराई तक खोदकर ईट बनाते है।इसप्रकार भूमि ऊपरी सतह पर पाई जाने वाली उर्वरा शक्ति नष्ट हो रही है।ईंट भट्ठों की बहुलता के कारण ही उर्वर मिट्टी वाली उपजाऊ भूमि वाला यह क्षेत्र अब ऊबड़खाबड़ भूमि वाला इलाका
बन कर रह गया है।धीरे धीरे उपजाऊ भूमि का दायरा घटता जा रहा है।कृषि उपज भी घट रही है।कम फसल की पैदावार घटने से अब लोगो की चिंता का इस विषय में बढ़ती जा रही है।
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