नया सबेरा नेटवर्क
कोरोना आया तो अब जाना जरूरी है,
हरेक को मास्क भी पहनना जरूरी है।
जिन्दा रहना है, तो टकराना सीखो,
सरकारी उसूलों पे चलना जरूरी है।
नया - नया अवतार रोज ले रहा है ये,
कदम- कदम पे इससे बचना जरूरी है।
गमों की भीड़ में कब तक चलोगे दोस्तों!
रुके न अपनी धड़कन,समझना जरूरी है।
लोग नहीं समझते क़ातिल के अंदाज को,
फिर दो गज की दूरी भी रखना जरूरी है।
आज भी नहीं रुक रही है मौत की बारिश
वायरस की हर चाल, समझना जरूरी है।
ग्लोबल मार्केट का भारी हुआ नुकसान,
अब इसको पटरी पर भी लाना जरूरी है।
कब तलक मनाएंगे दुनिया के देश मातम,
डब्ल्यू.एच. ओ. को भी समझना जरूरी है।
वुहान से जहां को जो नचाया मदारी,
अब उसका हिसाब-किताब करना जरूरी है।
रामकेश एम. यादव(कवि, साहित्यकार)मुंबई
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