नया सबेरा नेटवर्क
बक्शा, जौनपुर। विश्व आटिज्म दिवस पर हर्षिता इंटरनेशनल दिव्यांग स्कूल में दिव्यांग बच्चों व अभिभावक के लिये संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान आटिज्म के प्रति लोगों को जागरूक किया गया। प्रबन्धक विनोद कुमार माली ने अभिभावक व बच्चों का स्वागत किया। प्रमोद कुमार माली ने आटिज्म से सम्बंधित जानकारी देते हुए बताया कि आटिज्म का हिन्दी रूपांतरण स्वलीनता होता है। जिसका अर्थ है अपने आप में लीन रहना, अपने आप में खोये रहना, आटिज्म से पीड़ित बच्चे को जन्म से नहीं पहचाना जा सकता। ऐसे बच्चों को एक से डेढ़ साल में पहचाना जा सकता है। ऐसे बच्चों की शारीरिक वृद्धि सामान्य बच्चों की तरह होती है। व्यवहार सामान्य बच्चों की तुलना में कम होता है। आटिज्म बच्चे सामान्य बच्चों की तुलना में प्रतिक्रिया देर से करते हैं। ऐसे बच्चों को सामान्य विद्यालय में सामान्य बच्चों के साथ पठन पाठन कराया जा सकता है। आटिज्म बच्चे भी हमारे परिवार व समाज के अंग हैं। हम सभी को इन बच्चों के प्रति जागरूकता फैलानी चाहिये। इस अवसर पर गीता मिश्रा, उषा माली, सुदामा, मंजू देवी, जुलेखा, मनोज कुमार, प्रमोद दुबे, शिवपूजन, रामअवतार, संदीप सैनी आदि उपस्थित रहे।
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