नया सबेरा नेटवर्क
ना मुझे धन दौलत,
ना मुझे स्वर्ग चाहिए।
साथ रहो बस तुम मेरे,
ऐसा प्यारा पल चाहिए।
नयनों में बसे हो बस
एक दूजे के सपने अपने हो।
अगर मिले मुझे कुछ तुमसे,
तो वो तुम मेरे अपने हो।।
गिनकर सांसे लाया हूं,
छोड़ इन्हे यही जाऊंगा।
अगर तुम लौट आई तो,
आखिर तक साथ निभाऊंगा।।
खुशियों भरा हर पल दूंगा,
झोली तेरा प्रेम संग भर दूंगा।
साथ तुम्हारे हो हर पल मेरा,
बदले में तुमसे मैं ये लूंगा ।।
कहने को ना कुछ मेरे पास,
मुझे तो बस चाहिए तेरा साथ।
मम्मी पापा तेरे अगर राजी हो,
तो दे दें मुझको तेरा हाथ।।
अभी अभी तो मिली थी
अभी अभी तो मिली थी,
मिलते ही तुम छोड़ चली।
साथ ना दे पाऊंगी मैं,
बोल मुझे तन्हा छोड़ चली।।
चाह संग जुड़ रहे थे जो,
वो तुझसे मेरे सपने थे।
एक पल सा लगा मुझे।
तुम तो मेरे अपने थे।।
सच ही तुम कहती थी,
नेक इंसा नहीं जमाने में।
माफ करना गुस्ताखी मेरी,
अगर दिल टूटा अनजाने में।।
अभी अभी तो तुम मिली थी,
एक पल संग रह छोड़ चली।
कुछ तो सोची होती मेरे,
संजोए सपने जो तोड़ चली।।
संग बीते आज हर पल,
अहसास दिलाते कल होंगे।
मुस्कराना हर पल खुशी संग,
भले उस खुशी में हम ना होंगे।।
अभी अभी तो मिली थी मुझको,
मिलते ही तन्हा तुम छोड़ चली।
कमी संग बहुतेरे खूबियांं मुझमें,
कर दरकिनार उन्हे तू छोड़ चली।।
हे मतदाता !, हे राष्ट्रनिर्माता !
हे मतदाता !, हे राष्ट्रनिर्माता !
दारू मुर्गे पर ना बिक जाना।
प्रत्याशी को समझ परख कर,
मतदान जरूर तुम कर आना।।
लोकतंत्र के तुम हो आधार,
वोट तुम्हारे विकास सूत्रधार।
जाति धर्म से ऊपर उठ कर ,
मतदान जरूर तुम कर आना।।
हे भाग्य विधाता !, हे मतदाता !
अबकी फिर चूक ना जाना।
लोभ भय में ना फंसकर तुम,
ईमानदार प्रत्याशी चुनकर लाना।।
हे मतदाता तुम भी,
अपनी ताकत को पहचानो।
नेता तुम्हारा पढ़ा लिखा हो,
ऐसा अबकी तुम चुन डालो।।
हे मतदाता !, हे राष्ट्रनिर्माता !
तुम्हारा मत है बड़ा अनमोल।
दारू, मुर्गे के लालच में,
अबकी ना दो इसे फिर तोल।।
डोली चली जब
डोली चली जब बाबुल घर से,
मां बोल उठी अपनी सुता से।।
हुई पराई अब तुम बेटी,
नाता तुम्हारा अब उस घर से।।
तात कह रहे अब सुता से,
तुम पराई हुई राजकुमारी।
बने रहना अपने स्वभाव से,
ससुराल में सबकी तुम प्यारी।।
जब डोली उठा रहे कहार,
कह पड़ा फफक कर भाई
अब भगिनी तुम हुई पराई,
देवर होगा तुम्हारा भाई ।।
गले लगकर भाभी बोली,
इंतजार करत तेरी डोली।।
अब उस घर में ही मनेगी,
तुम्हारी दीवाली और होली।।
डोली चली जब बाबुल घर से,
उदास हुए सब मानुष मन से।
कह रहे हाथ जोड़ कर,
रखना इसे बड़े लाड़ प्यार से।
हाथ जोड़ कह रहे पिता जमाई से,
दे रहे तुम्हे मैं अपनी प्राण प्यारी।
कर रहा करबंद विनती प्रभु से,
जीवन हो दोनो के कल्याणकारी।।
अंकुर सिंह
चंदवक, जौनपुर,
उत्तर प्रदेश- 222129
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