नया सबेरा नेटवर्क
दो दिवसीय संगोष्ठी का हुआ समापन
जौनपुर। तिलकधारी स्नातकोत्तर महाविद्यालय में हिन्दी विभाग द्वारा आयोजित हिंदी कथा साहित्य में लेखिकाओं का योगदान पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन महाविद्यालय के सेमिनार हाल में हुआ। ''हिंदी कथा साहित्य में लेखिकाओं का योगदान बड़ा ही महत्वपूर्ण है । स्त्री लेखन का संदर्भ निजता से आरंभ होकर व्यापक जीवन जगत से जुड़ रहा है। गुणवत्ता और परिमाण दोनों ही दृष्टियों से हिंदी की महिला कथाकारों ने हिंदी साहित्य को समृद्ध बनाया है। उक्त बातें उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश, प्रयागराज एवं हिंदी विभाग, तिलकधारी स्नातकोत्तर महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ''हिंदी कथा साहित्य में लेखिकाओं का योगदान'' विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए इलाहाबाद वि·ाविद्यालय के डॉ.सुनील विक्रम सिंह ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि बंग महिला की दुलाईवाली से प्रारंभ होकर महिला कथा लेखन जिस शिखर पर पहुंचा है वह निश्चय ही सराहनीय है। अपनी प्रतिभा के दम पर महिला रचनाकारों ने कथा साहित्य के क्षेत्र में अपना अभूतपूर्व योगदान दिया है। इससे पूर्व कार्यक्रम के प्रारंभ में मुख्य अतिथि,प्राचार्य एवं अन्य अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। संगोष्ठी में बोलते हुए कालेज के प्राचार्य डॉ.समर बहादुर सिंह ने कहा कि महिला लेखिकाओं का योगदान कथा साहित्य में प्रशंसनीय रहा है। पूर्व प्राचार्य और संगोष्ठी की आयोजन सचिव डॉ. सरोज सिंह ने कहा कि कथा साहित्य में लेखिकाओं ने नारी जीवन से जुड़े स्थूल समस्याओं की जगह मनोवैज्ञानिक भावनाओं को समझने-समझाने का प्रयास किया है। इन लेखिकाओं ने पुरु षों से भी अधिक सूक्ष्म चित्रण अनेक संदर्भों में किया है। पूर्वांचल वि·ाविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ.विजय कुमार सिंह ने स्त्री लेखन पर प्रकाश डाला। संगोष्ठी के सह आयोजन सचिव डॉ. ओम प्रकाश सिंह ने अभ्यागत अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि महिला कथाकारों ने स्त्री चरित्रों के माध्यम से नई पहचान और अस्तित्व बोध पैदा करने का प्रयास किया है। आयोजन में चंद्र प्रकाश गिरी, महेंद्र मौर्य,रावेंद्र सिंह, लालचंद आदि का योगदान रहा।
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