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कोरोना महामारी निस्तारण संसाधनों पर जीएसटी हटाने का कदम वर्तमान मानवीय संकटकालीन स्थिति में जरूरी - एड किशन भावनानी
गोंदिया - वर्तमान समय में कोरोना महामारी ने वैश्विक स्तर पर माननीय जीवों पर कहर ढाकर उसे चारों खाने चित करने की ठान ली है। परंतु मानवीय बुद्धि भी ऐसे आसानी से हार मानने वाली नहीं है। मानवीय सजगता, सक्रियता, सतर्कता, टीमवर्क, विपरीत हालातों में जीतना, विपरीत परिस्थितियों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मुकाबला करना, मानवीय स्वभाव में शामिल है। जिसके बल पर अमेरिका ब्रिटेन जैसे देशों ने करीब-करीब कोरोना महामारी पर काबू पा लिया है और अमेरिका ने वैक्सीनेशन के दोनों डोज लगाने वालों को मास्क और दो गज की दूरी के बंधन से मुक्त करने की घोषणा कर दी है। ब्रिटेन ने भी 17 मई 2021 से दो गज की दूरी के बंधन से मुक्त करने की घोषणा कर दी है।...बात अगर हम भारत की करें तो भारत में अभी कोरोना महामारी की दूसरी लहर पीक पर है और तीसरी लहर आने का अंदेशा विशेषज्ञ, वैज्ञानिक और डॉक्टर लगा रहे हैं और कई राज्यों ने इसके लिए तैयारियां रणनीतिक रोडमैप बनाकर शुरू भी कर दी है।....बात अगर हम भारत में कोरोना महामारी निस्तारण में उपयोग हो रहे मेडिकल संसाधनों जैसे वैक्सीन, वेंटिलेटर,से जुड़ी मेडिकल वस्तुएं रेमडेसीविर इंजेक्शन से जुड़ी वस्तुएं, ऑक्सीजन इत्यादि अनेक प्राथमिक महत्वपूर्ण मेडिकल वस्तुएं हैं जिनपर अभी भी जीएसटी लगाया जा रहा है। शुक्रवार दिनांक 14 मई 2021 को स्पूतनिक वी वैक्सीन का भी जो रेट मीडिया में आया है उसमें भी 5 प्रतिशत जीएसटी लगाकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और टीवी चैनलों में बताया गया है। एक डोज की कीमत 948 रुपए होगी और उस पर 5 प्रतिशत जीएसटी अलग से लगेगा याने 45.40 रुपए इस तरह कुल कीमत 995.40 रुपए होगी। 1 मई को पहली खेप भारत पहुंची है और लगाना चालू हो गया है। सबसे पहले जीएसटी हटाने के संबंध में प्रमुख विपक्षी पार्टी अध्यक्ष, बंगाल की मुख्यमंत्री, उड़ीसा के मुख्यमंत्री, विपक्षी पार्टी के युवा नेता, विपक्षी नेता ने केंद्र सरकार को लेटर लिखा उसके जवाब में वित्त मंत्री और वित्त राज्य मंत्री ने 10 मई 2021 को 16 ट्विस्ट्स में जवाब दिया और उसका पूरा लेखाजोखा और गणित समझाया कि यदि टीके पर पर 5 प्रतिशत की पूरी छूट दी जाती है तो टीका मैन्युफैक्चर को कच्चे माल पर दिए गए टैक्स के लिए टैक्स क्रेडिट कर का लाभ नहीं मिलेगा और पूरी लागत को ग्राहकों, नागरिकों से वसूल लेंगे और दवाओं तथा ऑक्सीजन कंस्ट्रक्टर्स पर जीएसटी हटाने की मांग को एक तरह से खारिज कर दिया और कहा कि इससे जीवन रक्षक सामान महंगे हो जाएंगे। वर्तमान टीके की घरेलू आपूर्ति और कमर्शियल एक्सपोर्ट करने पर 5 प्रतिशत और कोविड दवाओं, ऑक्सीजन, कंस्ट्रक्टर्स, पर 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी लागू है और इन पर जीएसटी हटाने निर्माता को इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ नहीं मिलेगा और उपभोक्ताओं का नुकसान होगा और कहा कि इस तरह के मेडिकल संसाधनों पर पहले से ही सीमा शुल्क और स्वास्थ्य उपकर से छूट दी जा चुकी है। इसके साथ ही देश में मुफ्त वितरण करने के लिए भारतीय रेड क्रॉस सोसायटी द्वारा आयात की जाने वाली राहत सामग्रियों को एकीकृत जीएसटी से भी छूट दी गई है। इसके अलावा किसी भी कंपनी, राज्य सरकार, राहत एजेंसी,स्वतंत्र निकाय के द्वारा राज्य सरकार से प्राप्त प्रमाण पत्र के आधार पर देश में मुफ्त वितरण, बिना लागत आयात की जाने वाली कोविड सामग्री पर भी आईजीएसटी से छूट दी जा चुकी है इतना ही नहीं सरकार ने 3 मई 2021 से अनुदान के रूप में निशुल्क वितरण करने के लिए प्राप्त होने वाली कोविड राहत सामग्री को भी आईजीएसटी से छूट दे दी है। उन्होंने कहा कि एकीकृत जीएसटी केंद्रीय और राज्य जीएसटी में आधी-आधी रकम दोनों के खाते में जाती है। केंद्र को केंद्रीय जीएसटी के तौर पर मिलने वाली राशि में से 41 प्रतिशत हिस्सा भी राज्यों को दिया जाता है। इस प्रकार 70.50 प्रतिशत रुपए की राशि राज्यों का हिस्सा होती है और बाकी पर 5 प्रतिशत जीएसटी टीका बनाने वाली कंपनियों और जनता के हित में ही है। इसी तरह की दलीलें वित्त राज्य मंत्री द्वारा भी विपक्षी नेता माननीय हेगड़े जी के केंद्र को लिखे खत के जवाब में दी गई। ....बात अगर हम वित्त मंत्री द्वारा इनपुट टैक्स क्रेडिट की करें तो कई कर विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि 5 प्रतिशत जीएसटी को घटाकर 1 प्रतिशत या उससे भी कम किया जा सकता है और सबसे अधिक सुगम रास्ता यह है कि केंद्र सरकार अगर चाहे या जीएसटी काउंसिल जिसकी अध्यक्षया माननीय वित्तमंत्री जी हैं को आपातकालीन स्थिति को देखते हुए जीएसटी काउंसिल की मीटिंग बुलाकर वैक्सीन की दर पर और इनपुट टैक्स क्रेडिट पर उचित समाधान निकाला जा सकता है। अतः हम उपरोक्त पूरे विवरण का विश्लेषण करें तो जीएसटी संबंधी किसी भी समस्या का समाधान करने के लिए जीएसटी काउंसिल की आपातकालीन बैठक बुलाकर एकमत से उस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है ताकि मरीजों और उनके परिवारवालों पर अनावश्यक बोझ ना पड़े और बाकी सारी जिंदगी पड़ी है परंतु अभी रणनीतिक रोडमैप बनाकर जनता को राहत देना सरकार का कर्तव्य है।
-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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