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"सुई-धागे से अपनी कल्पनाओं को विस्तार देते हैं बापी दास " | #NayaSaberaNetwork

"सुई-धागे से अपनी कल्पनाओं को विस्तार देते हैं बापी दास " | #NayaSaberaNetwork


नया सबेरा नेटवर्क
मैं अपने ऑटो चालक के दौरान जो महसूस किया उसे ही विस्तार देने का प्रयास करता हूँ। 
ऑटो रिक्शा चालक से कला के ऊंचे मुकाम पर पहुचें कोलकाता के बापी दास।
कोच्चि बिनाले ने ख़ुद किया बापी से संपर्क और इनकी कलाकृतियों की लगाई गई प्रदर्शनी । 
लखनऊ। अस्थाना आर्ट फोरम के ऑनलाइन मंच पर आर्ट टॉक एंड स्टूडिओं विजिट कार्यक्रम के दूसरे एपिसोड में अतिथि कलाकार कलकत्ता के दृष्यकलाकार बापी दास रहे। साथ ही इस कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में नई दिल्ली की अनिता दुबे ( कलाकार, कला इतिहासकार, समीक्षक ) एवं कलाकार से बातचीत के लिए नई दिल्ली के क्यूरेटर अक्षत सिन्हा के साथ देश के बड़ी संख्या में कलाकार, कला प्रेमी ऑनलाइन ज़ूम माध्यम से जुड़कर इस कार्यक्रम का आनंद लिया। 
बापी दास कोलकाता में ओटो चालक थे जब उन्होंने अपने बचपन के सपने को पूरा करने के लिए सुई धागे से बेहतरीन कलाकृतियां बनाना चालू किया। ड्राइंग में उन्हें अविजीत दत्ता ने मदद की। उनकी कला को कलाकार एवं आर्ट समीक्षक अनीता दूबे ने कोच्चि बियनाले में स्थान दिया। फलस्वरूप बापी दास की कला को ने आयाम मिले। zoom काल में अनीता जी ने बताया कैसे उन्होंने बापी दास के काम को ढूंढा, प्रस्तुत किया और कैसे उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रशंसा प्राप्त हुई। बापी दास ने zoom के माध्यम से अपने नए काम तथा अपने कार्य स्थल भी दिखाया। उनके स्टूडियो में रखे बापी द्वारा डिज़ाइन किए तथा नवीन रूप के फ्रेम देख कर हंसने खूब सराहना की। अक्षत सिन्हा ने प्रशंसा करते हुए कहा कि यह दर्शाता है कि कैसे एक कलाकार, एक सच्चे इंसान भी होता है जो अपनी जरूरत के हिसाब से अपनी सहूलियत के लिए चीजें इजाद करता है। अभिजीत के सवाल कि बापी अपनी सफलता के बाद अपने में क्या बदलाव महसूस करते हैं, के जवाब में बापी ने कहा कि उनकी जिंदगी आज भी वैसी ही है चाहे पहले उन पर हंसने व कटाक्ष करने वालों का उनके प्रति व्यवहार ज़रूर बदला है, बेहतर हुआ है। यह बताता है कि कलाकार कितना ज़मीन से जुड़ा हुआ है। भूपेन्द्र ने भी बापी के काम तथा उनके सरल स्वभाव की खूब सराहना की। 
   बापी दास  का जन्म 10 अगस्त 1979 को कोलकाता में हुआ , बापी ने स्टील फैक्टरी और ऑटो ड्राइविंग की। आटो रिक्शा चलाने से कला के क्षेत्र में आने तक कि एक लंबी यात्रा तय की है। कला के प्रति बचपन से रुझान आज इन्हें कला के क्षेत्र में एक ऊंचे मुकाम पर स्थापित किया। सुंदर कशीदाकारी कपड़े पर कढ़ाई के परंपरागत और सदियों पुराने माध्यम कलाकार बापी दास की रचनाओं की श्रृंखला में नूतन भूमिका निभाती है। इनकी कलाकृतियां हाथ से सुई की क्रिया को एक अद्भुत, अविश्वसनीय रूप से निर्दोष और जीवन के प्रति सत्य प्रमाण देती हैं जो दर्शकों को बहुत आकर्षित करती है। कई वर्षों से जीवन के जद्दोजहद में जीवित रहने के लिए एक आटो रिक्शा चलाते रहे। इनके दृश्य रूपक इनकी पृष्ठभूमि और इतिहास से बहुत अधिक आत्मसात करते हैं। यह अपनी अभिव्यक्ति के माध्यम से एक पेचीदा, पेचीदा यात्रा बनाते है, जो अब भी उसके पिछले अनुभवों से जुड़ी है और गाड़ी चलाते समय सड़कों का अन्वेषण करने में लगा समय है। उनकी स्केपों के व्यक्तिगत रूप से गहरे अनुभवों को विभिन्न भू-प्रदेश से अवशोषित अंशों के चयनात्मक ढंग से चित्रित किया करते हैं इनके चित्र यथार्थ वादी चित्रण इनके दृश्य संवाद की शक्ति को बढ़ाते हैं।
बापी दास बताते हैं कि कला के प्रति उत्कंठा के कारण बचपन से ही रूचि रखता था। लेकिन कुछ व्यक्तिगत कारणों से इस क्षेत्र में अभ्यास नहीं हो सका। लेकिन कुछ समय बाद मेरी रुचि और कला के प्रति जो बीज मन मे था उसके कारण आज मैं इस क्षेत्र में एक पहचान बनाने का प्रयास कर रहा हूँ। मेरी कल्पना को एक विस्तार मिल रहा है। बहुत खोज और अपनी मौलिकता की तलाश करने के श्रृंखला में ही मुझे सुई धागा का माध्यम मिला। 
बापी ने कहा कि मेरा जन्म एक शहरी परिदृश्य के साथ हुआ और कोलकाता के प्रति मेरा लगाव शब्दो से परे है। इस शहर ने मुझे बहुत प्रेरित किया और बहुत कुछ सीखने ,करने का मौका दिया। जिसे आप मेरी कलाकृतियों के बने फ्रेम में देख सकते हैं। मैं अपने चित्रों में अपने सपनों जैसी घटनाओं को उकेरता हूँ। मेरी स्मृतियां इस प्रदेश के मानचित्रों पर अंकित करता हूँ। मैं अपने कृतियों के माध्यम से अपने से जुड़े तमाम घटनाओं को प्रस्तुत करता हूँ। जब मैं आटो चलाता था। जैसे कि चित्रों में मानचित्र पर चेहरा जैसा कि शहर के सभी रास्ते मेरे मन मस्तिष्क में चलता है। ऑटो के पीछे का सीसा,या नक्शा खींचने वाला दर्पण यात्री के जीवन मे अनिश्चितता और संशय के तत्व का प्रतीक या कभी सामने का दृश्य ऐसे तमाम घटनाओं को अपने सुई और धागों के माध्यम से उकेरता हूँ। वृत्ताकार दर्पण दिखाया गया विस्तृत खंड चालक की शिथिल अवस्था को दर्शाता है। 
मेरी सबसे उल्लेखनीय रचना पर मेरी सबसे यादगार कलाकृति पहचान प्रमाण (2018) है और यह मेरे जीवन की सच्चाई का चित्रण करती है यह मेरा आत्मचित्रण है। एक ऑटो रिक्शा चालक के रूप में, मैंने बहुत संघर्ष किया, और मैं लगातार अपने गंतव्य के लिए भटक रहा था। कलाकृति का सामने एक मानक डाक टिकट के विवरण के साथ आता है, जबकि पीठ एक असली वास्तविकता का प्रतिनिधित्व करती है एक शून्यता का और मेरे लिए खोज।
  बापी दास के इन कलाकृतियों कि प्रदर्शनी कलाकृति आर्ट गैलरी हैदराबाद , कोच्चि बिनाले , कोलकाता , नई दिल्ली , मुंबई के तमाम स्थानों पर लगाई गई हैं ।  
   भूपेंद्र अस्थाना ने अगले हफ्ते फिर एक और कलाकार से भेंटवार्ता के वादे के साथ भुपेंद्र ने सभी उपस्थित लोगों का  धन्यवाद किया, जिसमें कई जाने-माने कलाकार वह पत्रकार भी शामिल थे।

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