नया सबेरा नेटवर्क
सन्नाटे को चीर यहां पर जीवन फिर मुस्कुएगा
मातम पसरा है गांवों में शहर की हाल बताऊं क्या
खामोशी जो कहती है अब उसका हाल छुपाऊं क्या
जीवन से संघर्ष कर रहे पथिक बने बेगाने से
सड़क-मोहल्ले सूने हो गए भाग रहे अनजाने से,
अस्पताल में ढेर लग गई हालत का कुछ पता नहीं
संस्कार अब ढीले पड़ गये अपनों का कुछ रहा नहीं
रहो दूर अब दुनिया वालों आज घरों में आफत आई
व्यथा कहूँ क्या शमशानों की भीड़ बहुत कुछ कहने आई
माँँ का आंचल पिता का साया सरक रहा था दूरी पर
लावारिस शव भटक रहा था परिवारों की मजबूरी पर
ऐसी हालत सुनी नहीं थी रोग से लड़ने वालों की
खामोशी छायी है घर आंगन सुखी समझने वालों की
बिछुड़ रहा है सबका दामन साथ नहीं चलने वाला
आसमान अब व्यथित हो रहा नहीं है कोई रोने वाला
खुशहाली फिर आएगी कोयल गीत सुनाएगी
खिलेंगी कलियां लगेगी फलियां रितु सुहानी आएगी
रोगों की फिर हारें होगी विना दवा के काम चलेगा
सपनों पर विश्वास पलेगा फिर अपना ही राज चलेगा
नया मिलेगा जीवन सबको माँ धरती यह कहती है
संभल गये इस दुनिया वाले मानवता भी कहती है
जो अपने थे करीबी वह अलविदा होते गये
दवा के अभाव में सब हमसे जुदा होते गये
सर्दी, जुकाम, बुखार की सामान्य थी बीमारी
कोरोना की दहशत ने फैलायी ऐसी महामारी
अजब हाल अपने घर परिवार का हुआ जा रहा
अब दवा से बढ़कर काम दुआ का भी आ रहा
बाजारों में रौनक होगी पुलिस का पहरा बंद रहेगा
चांद सितारे पहरा देंगे फिर जीवन खुशहाल बनेगा
सुविधा से सरकार रहेगी जनमानस में विश्वास बढ़ेगा
असुविधा का दौर चला है सुविधा से यह देश बढ़ेगा
कमियां आज देखने वाले कल वह भी मुँह को खाएँगे
लाशों पर जो हवा चल रही नदी की धारा में बह जाएँगे।
देवी प्रसाद शर्मा ‘प्रभात’
अहिरौला, आजमगढ़, उत्तर प्रदेश।
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