नया सबेरा नेटवर्क
मुंबई : अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच मार्च २०२० से सतत कवि सम्मेलन कराती आ रही है।इस माह संंवेदना विषय पर 100वाँ कवि सम्मेलन संपन्न हुआ।गोष्ठी का शुभारंभ सुनिलदत्त मिश्रा ने किया,जिसमें समारोह की अध्यक्षता आरती आन्नद ने की, मुख्य अतिथियों में पी एल शर्मा,विशेष अतिथी राम राय,आशा जाकड , संतोष साहू,विनय शर्मा दीप, शिवपूजन पाण्डेय,जनार्दन सिंह उपस्थित थे।गोष्ठी का संचालन डॉ अलका पाण्डेय,सुरेन्द्र हरड़ें और शोभारानी तिवारी ने किया।गोष्ठी का शुभारंभ सरस्वती वंदना से वीना आडवानी ने किया।मंच की अध्यक्षा ने बताया कि गोष्ठी का उद्देश्य मनुष्य के भीतर संवेदना को जगाना है,इसलिए विषय संवेदना रखा गया है।जिसमें पच्चास कवियों ने काव्य पाठ किया।अध्यक्ष महोदया ने उपस्थित सभी कवियों को सम्मान पत्र देकर स्वागत किया।
गोष्ठी को यादगार बनाने का प्रयास सफल रहा,अलका पाण्डेय ने संवेदना पर पढते हुए कहा----
संवेदना न होगी तो ,
वेदना का अहसास न होगा
दोनो परस्पर बहने ही तो है
संवेदना होगी तभी वेदना का एहसास होगा !
कवियत्री रानी नारंग के शब्दों में----
मानवता की तीव्र अनुभूति हो जब मन में तो समझना तुम्हारी मानवीय संवेदनाएं जिंदा हैं ।
किसी के अकेलेपन का दर्द जब बाँटना चाहे मन तो समझना संवेदनाएं जिंदा है।
कवियत्री निलम पांडे अपनी लेखनी को प्रस्तुत करते हुए कहा---
आज खो गई है संवेदना,
भौतिकता के शून्य में।
परवेदना समझी नहीं,
उलझे रहे पाप और पुण्य में।
ना खुशी ही सांझा हुई ना गम।।
कवियत्री सरोज दुगड़ कहती हैं----
शिक्षा अब व्यवसाय बनी शिक्षक की मर चुकी संवेदनाएं ,
मर रहा मरीज फीस कहाँ डाॉ• की मर गई है भावनाऐं ?
कवियत्री रानी अग्रवाल ने खूबसूरत रचना पढीं-----
संवेदना ही इंसानियत का धर्म,
यही हमारा_तुम्हारा प्रथम कर्म,
ईश्वर ने हमें संवेदनशील बनाया,
इस रूप में अपना और बढ़ा देती है।
वेदना आंसू बन
आंखों से बह जाती है
डा अंजुल कंसल"कनुप्रिया"
सभी ने अपनी-अपनी लेखनी से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया और अंत में पाण्डेय ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए गोष्ठी का समापन किया।
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