फिनलैंड के वैज्ञानिक ने सोना स्पा के बारे में विस्तृत रूप से समझाया
जौनपुर। इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के तीसरे दिन विशेषज्ञ के रूप में डॉ. चंद्रशेखर मोहंती वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक और संयंत्र प्रमुख जीनोमिक, सीएसआईआर, (एनबीआरआई), लखनऊ ने न्यूट्रास्यूटिकल्स और फार्मास्युटिकल परिप्रेक्ष्य के लिए उपयोग किए गए पौधों के बारे में विस्तार से बताया।
उन्होंने कहा कि फलियां का अधिक सेवन हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक और टाइप -2 मधुमेह के जोखिम को कम करता है। फलियां पोटेशियम, मैग्नीशियम और फाइबर, सभी पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं। यह वजन नियंत्रण में मदद कर सकता है। फलियां कई स्वस्थ खाने के पैटर्न का एक अभिन्न अंग हैं जैसे; खाने की भूमध्य शैली, शाकाहारी और शाकाहारी भोजन और कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स। इस सत्र का संचालन श्री आशीष गुप्ता ने किया।
दूसरे वक्ता के रूप में डॉ. कालेवी लेहटोनें वेदापल्स, डायग्नोस्टिक एक्सपर्ट तुर्कू, फ़िनलैंड, ने इंडियन और फ़िनिश ट्रेडिशनल उपचार के बारे में बताया है भारतीय और फिनलैंड की प्राकृतिक चिकित्सा, पंचकर्म प्राकृतिक चिकित्सा की योग पारंपरिक प्रणाली, पारंपरिक फिनिश उपचार जैसे कालेवाला बोन-सेटिंग, चिकित्सा की एक मैन्युअल रूप से प्रशासित विधि, जो मानव शरीर के लिए उच्च रक्तचाप के साथ किया जाता है।यह मांसपेशियों को आराम देता है और मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम की संरचनाओं को संतुलित करके शरीर को स्फूर्ति प्रदान करता है।फ़िनलैंड में उपचार के पारंपरिक तरीके के रूप में क्यूपिंग का लंबे समय से उपयोग किया जाता रहा है। उन्होंने सोना स्पा के बारे में विस्तृत से समझाया फिनलैंड की निवासी होने के बावजूद उन्होंने भारतीय पुराना आयुर्वेद के बारे में विस्तृत जानकारी दी इस सत्र का संचालन श्री सुरेन्द्र कुमार सिंह ने किया । तीसरे वक्ता के रूप में श्रीमती. चंद्र मिश्रा सेवानिवृत्त चिकित्सा वैज्ञानिक एवं क्लीनिकल रिसर्च कॉर्डिनेटर अमेरिका ने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य स्ट्रेस मैनेजमेंट एवं मानसिक स्वास्थ्य के बारे में विस्तृत से समझाया उन्होंने कहा कि शारीरिक तथा मानसिक एक्सरसाइज के माध्यम से व्यक्ति अपना तनाव से मुक्त रह सकता है। इस सत्र का संचालन अशोक कुमार त्रिपाठी ने किया। संयोजक डॉ झांसी मिश्रा ने कार्यक्रम की संचालन और डॉ विजय बहादुर मौर्या ने धन्यवाद ज्ञापन किया। डॉ आलोक दास द्वारा तकनीकी सहायता प्राप्त हुआ।
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