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भारत में ड्रोन हमला - टेक्नोलॉजी वार की चुनौती - विश्व में आतंक की नई साज़िश - भारत ने यूएन में मामला उठाया | #NayaSaberaNetwork

भारत में ड्रोन हमला - टेक्नोलॉजी वार की चुनौती - विश्व में आतंक की नई साज़िश - भारत ने यूएन में मामला उठाया | #NayaSaberaNetwork


नया सबेरा नेटवर्क
भारत में ड्रोन की मदद से पहला आतंकी हमला - भारत में निजी ड्रोन विकल्प उपयोग पर सुरक्षात्मक रणनीति एसओपी बनाना तात्कालिक जरूरी - एड किशन भावनानी
गोंदिया - भारत में लंबे समय से अक्सर हम ड्रोन एयर मॉडलिंग शो, शादी ब्याह समारोह, राजनैतिक समारोह, निजी समारोह, इत्यादि अनेक अवसरों, प्रोग्रामों को पूरा करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल शूटिंग करने के लिए हमने अक्सर देखे हैं। करीब-करीब इस प्रकार के हर समारोह में आज भी ड्रोन का इस्तेमाल होता है, परंतु हमने 26-27 जून शनिवार-रविवार की रात जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर हुए ड्रोन अटैक सुनकर स्तब्ध रह गए हैं कि ड्रोन का इस तरह भी दुरुपयोग हो सकता है। अब हम समझ रहे हैं कि ड्रोन्‍स का इस्‍तेमाल चिंता बढ़ाने वाला है। कम लागत का यह विकल्‍प आसानी से उपलब्‍ध है। आतंकी समूहों का अपने मकसद के लिए एरियल/सब सरफेस प्‍लेटफॉर्म्‍स का इस्‍तेमाल सबसे बड़ा खतरा बनता जा रहा है। यह सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती है।...बात अगर हम जम्मू के एयरफोर्स स्टेशन पर हुए हमले की करें तो भारत में यह ड्रोन हमला टेक्नोलॉजी वार की चुनौती है और विश्व में आतंक की एक नई साजिश है। क्योंकि ड्रोन का इस्तेमाल हम देखते हैं कि कई समारोह में होता है, और जहां तक मुझे जानकारी है कि इसके इस्तेमाल पर कोई एसओपी नहीं है और निजी क्षेत्रों में इसका इस्तेमाल बिंदास होता है। इसलिए इसके इस्तेमाल पर तात्कालिक सुरक्षात्मक एसओपी बनाना अब समय की मांग हो गई है, क्योंकि भारत पर ड्रोन से हमला एक गंभीर मामला है। जिसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। इसीलिए भारत की तीन एजेंसियां एनआईए, एनएसजी और दिल्ली पुलिस जांच में जुटी हुई है और शीघ्र ही बात साफ हो जाएगी कि यह हमला पड़ोसी मुल्क से किया गया है या भारत के अंदर से ही किसी आतंकवादी संगठन द्वारा किया गया है।...बात अगर हम भारत की सुरक्षा चाक-चौबंद की करेंतो आज तकनीकी युग में भारत हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयारहै टीवी चैनलों द्वारा बताई गई जानकारी के अनुसार डीआरडीओ ने 18 माह पूर्व ही इस प्रकार के ड्रोन से निपटने की तैयारी कर दी है और एनएसजी के पास एंटीड्रोन टेक्नोलॉजी उपलब्ध है। टीवी चैनल पर कश्मीर रेंज के आईजी ने इंटरव्यूमें कहाकि हम तकनीकी के जरिए इसका जवाब देंगे, क्योंकि हमारे पास ट्रिपल लेयर सिक्योरिटी है और इस तरह के हमलों से रक्षा करने के लिए हम पूर्ण रुप से तैयार हैं।...बात अगर हम करंट स्थिति की करें तो अभी 3 दिनों में 7 ड्रोन सीमा क्षेत्र में दिखाई दिए हैं जो गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है टीवी चैनलों मैं आए समाचारों की मानें तो भारत अभी तेजी से ऐसी टेक्नोलॉजी लगाने में भिड़ गया है कि, कम उचाई उड़ान पर छोटे छोटे ड्रोन और कम दूरी वाले ड्रोन जो ट्रिपल लेयर की पकड़ में नहीं आ रहे हैं थे उस टेक्नोलॉजी को स्थापित करने की कयावात शुरू हो चुकी है उम्मीद है कुछ ही दिनों में हम सफल होंगे।...बात अगर हम भारत में ड्रोन हमले का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र की सभा में उठाने की करें तो यह, जम्मू में ड्रोन से हुए हमले का मुद्दा भारत ने यूएन में उठाया, कही कि ये बड़ी बात आतंकवादियों द्वारा देश के महत्त्वपूर्ण संस्थापनों पर हमला करने के लिए ड्रोनों का प्रयोग करने की पहली घटना है। यूएन में दुनिया भर की काउंटर-टेररिज्‍म एजेंसियों की उच्‍चस्‍तरीय कॉन्‍फ्रेंस हुई। इसमें विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) ने भारत का पक्ष रखा। अधिकारी ने कहा कि सूचना और संचार तकनीक का दुरुपयोग और उभरती तकनीकों का आतंकी गतिविधियों के लिए इस्‍तेमाल आतंकवाद के सबसे गंभीर खतरे के रूप में उभरा है और आतंकी नई-नई जुगत भिड़ा रहें हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा में सदस्य देशों के आतंकवाद-रोधी एजेंसियों के प्रमुख के दूसरे उच्च स्तरीय सम्मेलन में गृह मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, आज आतंकवाद के प्रचार और कैडर की भर्ती के लिए इंटरनेट और सोशल मीडिया का दुरुपयोग हो रहा है। आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए नई भुगतान विधियों और क्राउडफंडिंग प्लेटफार्मों का इस्तेमाल हो रहा है और आतंकी अब हमलों को अंजाम देने के लिए ड्रोन तकनीकी का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। अधिकारी ने कहा कि रणनीतिक और व्‍यापारिक ठिकानों पर आतंकी मकसद पूरा करने के लिए हथियारबंद ड्रोन्‍स के इस्‍तेमाल की संभावना पर सभी सदस्‍य देशों को गंभीरता से ध्‍यान देने की जरूरत है। हमनें आतंकियों को ड्रोन्‍स के जरिए हथियार बॉर्डर पार कराते देखा है।...बात अगर हम मंगलवार दिनांक 29 जून 2021 को प्रधानमंत्री द्वारा सुरक्षा के लिए ली गई हाई लेवल मीटिंग की करें तो इसमें केंद्रीय रक्षामंत्री, केंद्रीय गृहमंत्री, व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ देर शाम तेजतर्रार महत्वपूर्ण मीटिंग की जो लगभग 2 घंटे चली, जिसमें रक्षामंत्री ने पीएम को स्थिति की जानकारी दी और सुरक्षा की करंट स्थिति, सुरक्षा विषय, नई ड्रोन रणनीति पर चर्चा, और स्थिति से निपटने के लिए चर्चा हुई। ऐसी जानकारी टीवी चैनलों द्वारा दी गई है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो, भारत में ड्रोन हमला टेक्नोलॉजी वार की एक नई चुनौती है जिससे विश्व में आतंक की नई साजिशों का पता चला है। इसलिए भारत ने इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में उठाया है जो एक अच्छा रणनीतिक कदम है और चुंकि भारत में ड्रोन की मदद से यह पहला आतंकी हमला है। अतः भारत में निजी ड्रोन विकल्प उपयोग पर सुरक्षात्मक रणनीतिक एसओपी बनाना तात्कालिक जरूरी हो गया है। 
संकलनकर्ता- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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