नया सबेरा नेटवर्क
चाहता हूँ जीना अभी, मुझे मत जलाओ,
किसने चुराई सांस मेरी,सांस लेके आओ।
सुलग रहा है दिल मेरा, ये कैसी व्यवस्था,
जिन्दे हैं मेरे आरजू, सांस तो बढ़ाओ।
न जाने कितने मर गए सारे जहां में लोग,
फिर न मरे कोई, ऑक्सीजन तो बढ़ाओ।
करवट बदल रही रात, कुछ हल तो ढूँढो,
जाने से पहले चाँद पे, धरती को सजाओ।
पकड़ उसे जिसने किया संसार को बर्बाद,
पब्लिक के सामने उसे फांसी पे चढ़ाओ।
खेले न कोई अब इस दुनिया के जीवन से,
मुझको अब इस बात का भरोसा दिलाओ।
अरे!वो आसमांवाले, खाओ तो कुछ तरस,
बरस रही उस मौत से दुनिया को बचाओ।
लौटा दो पुराने दिन मेरे, चाहे जैसे थे,
ये जहर का घूँट न किसी और को पिलाओ।
ये दौलत, ये शोहरत, जो चाहो ले लो,
अब किसी की लाश को मजार न बनाओ।
रामकेश एम.यादव(कवि,साहित्यकार),मुंबई
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