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कोविड-19 से भारत के भविष्य को सुरक्षित करने, वैक्सीन निर्माताओं को दायित्व क्षतिपूर्ति संरक्षण का निर्णय लेना भारत के लिए हित में - एड किशन भावनानी
गोंदिया - कोरोना महामारी का जिस तरह से वैश्विक तबाही मचाना शुरु है और गिरगिट की तरह अपने रूप अर्थात वेरिएंट बदलकर मानव पर कुठाराघात कर रही है। उससे बचने के सर्वोत्तम उपायों में से एक उपाय है वैक्सीनेशन और वैश्विक स्तर पर इस अस्त्र का प्रयोग बहुत तेजी से किया जा रहा है अनेक विकसित देशोंने अपने टीकाकरण लक्ष्य के करीब पहुंच गए हैं और अपने देश को इस महामारी से बचाकर सुरक्षित कवच लगाने में सफल हुए हैं।....बात अगर हम भारत की करें तो भारत ने भी दिसंबर 2021 तक टीकाकरण के पात्र अपने 108 करोड़ देशवासियों को टीकाकरण का लक्ष्य रखने का मजबूत संकल्प किया है। जिसे पूर्ण करने के लिए हर भारतीय को संकल्प लेना है।....बात अगर हम इस लक्ष्य को पूरा करने की करें तो इसके लिए हमें विशाल स्तर पर वैक्सीन की जरूरत होगी, जिसको उपलब्ध कराने के लिए कैबिनेट सचिवालय विदेश मंत्रालय, नीति आयोग, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, कानून मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा हाई लेवल रणनीतियां बनाई जा रही है और अमेरिकी वैक्सीन फाइजर और मॉडर्ना को भारत लाने के लिए कई दिनों से सकारात्मक प्रयास किए जारहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उपलब्ध ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीजीसीईआई) ने दिनांक 1 जून 2021 को एक नोटिस निकाल कर फाइबर और मॉडर्ना की भारत में ट्रायल की शर्त को हटा दिया है। 1 जून 2021 को जारी नोटिस के अनुसार, हाल ही में कोरोना के मामलों की तेज रफ़्तार के बीच भारत में बढ़ती टीके की मांग को देखते हुए NEGVAC के सुझावों के आधार पर अब उन वैक्सीन को भारत में ट्रायल से नहीं गुजरना होगा, जिन्हें पहले से ही यूएस, एफडीए, EMA, UK MHRA, PMDA जापान या फिर विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी जा चुकी है और दिनांक 3 जून 2021 को रात्रि 9:35 पीएम को प्रधानमंत्री के ट्विटर हैंडल के अनुसार उन्होंने अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से बात की और कहा, कुछ समय पहले कमला हैरिस की मैं वैश्विक वैक्सीन बंटवारे की अमेरिकी रणनीति में भारत को वैक्सीन आपूर्ति के आश्वासन की गहराई से सराहना करता हूं। मैंने उन्हें अमरीकी सरकार, व्यापार तथा भारतीय डायस्पोरा की सम्पूर्ण सहायता और एकजुटता के लिए भी धन्यवाद दिया।और कहां, हमने भारत-अमरीकी टीका सहयोग को और मजबूत करने के लिए जारी प्रयासों तथा वैश्विक स्वास्थ्य और आर्थिक सुधार में योगदान के लिए हमारी भागीदारी की क्षमता पर भी चर्चा की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अनुसार क्षतिपूर्ति और खरीद प्रक्रिया को लेकर भारत सरकार और अमेरिकी कंपनी के बीच अंतिम समक्षौता होना बाकी था, लेकिन दोनों तरफ से वैक्सीन की खरीद पर आम सहमति बन चुकी थी। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के मुताबिक सरकार क्षतिपूर्ति में पूरी तरह से छूट प्रदान की है। फाइजर को इस तरह के सीमित इस्तेमाल की छूट अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन, यूरोपियन मेडिसीन एजेंसी, मेडिसीन एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट रेगुलेटरी एजेंसी यूके, फर्मास्युटिकल एंड मेडिकल डिवाइसेज एजेंसी जापान की ओर से मिल चुकी है। इसके साथ ही फाइजर की वैक्सीन को WHO की इमरजेंसी सूची में भी जगह मिल चुकी है। दरअसल फाइजर ने अपनी शर्तों को लेकर 116 देशों के 14.70 करोड़ नागरिकों को वैक्सीन लगाई है परंतु एक में भी साइड इफेक्ट नहीं निकला है। इसलिए वह इस जिम्मेदारी में शूट चाहते हैं। दरअसल, फाइजर ने टीके के संभावित दुष्प्रभावों को लेकर संरक्षण की मांग की है जिस पर भारत सरकार में सहमति बन चुकी है। आमतौर पर किसी भी दवाई या वैक्सीन को लेकर अगर किसी तरह के दुष्रभाव सामने आते हैं तो कंपनी से हर्जाना वसूला जाता है, लेकिन वैक्सीन को जल्दी में तैयार किया गया है, इसलिए वैक्सीन निर्माताओं को इससे छूट की दरकार होती है। इस प्रकार की छूट फाइजर ने अमेरिका समेत उन सभी देशों में मांगी थी, जहां उसके टीके की आपूर्ति की है.... बात अगर आम सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) की करें तो उनके सीईओ ने इलेक्ट्रानिक मीडिया में कहा कि उन्हें भी दायित्व से क्षतिपूर्ति की छूट मिलनी चाहिए। अब हमें यह समझना जरूरी है कि दायित्व क्षतिपूर्ति क्या है??..क्षतिपूर्ति का अर्थ है वैक्सीन निर्माताओं को कानूनी कार्रवाई से सुरक्षा, जिसके जरिए यह सुनिश्चित होगा कि उन पर भारत में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। भारत में किसी भी कंपनी को अभी तक यह संरक्षण नहीं दिया गयाहै। हालांकि फाइजर और मॉडर्ना ने कहा है कि वे भारत को निर्यात तभी करेंगे जब उनका संपर्क केंद्र सरकार से होगा और कंपनी को कानूनी मामलों से संरक्षण मिलेगा। फाइजर और मॉडर्ना अंतरराष्ट्रीय बाजार में सबसे अच्छा वैक्सीन मानी जा रही हैं और इनकी एफिकेसी रिपोर्ट 90 प्रतिशत से अधिक है। इन दोनों टीकों को अमेरिका और ब्रिटेन सहित 40 से अधिक देशों द्वारा अनुमति दी गई है और भारत में भी उत्पन्नन परिस्थिति जन्य जरूरतों को का संज्ञान लेकर वैक्सीन निर्माताओं को दायित्व क्षतिपूर्ति सरंक्षण देना लाजिमी भी है। अतः हम अगर उपरोक्त पूरे विवरण का विश्लेषण करें तो भारत में टीकाकरण लक्ष्य पूर्ति के लिए वैसे निर्माताओं को दायित्व क्षतिपूर्ति संरक्षण का निर्णय परिस्थितियों की मांग है और कोविड-19 से भारत के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए वैक्सीन निर्माताओं को दायित्व क्षतिपूर्ति संरक्षण का निर्णय लेना भारत के हित में है।
-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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