नया सबेरा नेटवर्क
अपने सुख के लिए
उसने गुफा त्यागी
घर बनाया
अपने सुख के लिए
अन्न उपजाया
संरक्षित किया
अपने सुख के लिए
पशु-पक्षियों, वनस्पतियों के साथ
रहना सीखा
जो कुछ था अदीखा
अपने सुख के लिए
उसने देखा
अपने सुख के लिए
छोटी-छोटी चीजों को गढ़कर
एक समूचा संसार रचा
उससे कुछ भी
(अ)कर्म नहीं बचा
इस तरह खुद को गढ़ा उसने।
- युवा लेखिका शुचि मिश्रा जौनपुर
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