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#JaunpurLive : डॉ सुभाष सिंह करेंगे 10 करोड़ का क्षतिपूर्ति दावा

#JaunpurLive : डॉ सुभाष सिंह करेंगे 10 करोड़ का क्षतिपूर्ति दावा


राट्रीय उपभोक्ता कमीशन से मिली मुकदमें में जीत
चार अन्य फर्जीवाद में भी हासिल कर चुके हैं जीत, मानते हैं सत्य की विजय
वर्षों तक जि़ला प्रदेश उपभोक्ता फोरम, राष्ट्रीय उपभोक्ता कमीशन में चले मुकदमें में किया सामना, इस दौरान निजी चिकित्सकीय प्रैक्टिस में हुई करोड़ों की क्षति
मुकदमा लड़ने के दौरान पास करते रहे वकालत की परीक्षा, अब खुद भी अधिवक्ता बन करेंगे प्रैक्टिस
जौनपुर। आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. सुभाष सिंह के जीवन की धारा एक फर्जी वाद ने बदल दी। हालांकि उन पर दो दशक में कुल पांच वाद फर्जी आधार यानी गलत इलाज, बगैर लाइसेंसी पैथोलॉजी आदि का आरोप लगाकर दायर किए गए। एक में वादी पीछे हट गया बाकी तीन में जीते, इनमें एक में मुआवजा भी मिला लेकिन पांचवें मुकदमे में जि़ला उपभोक्ता फोरम के वकील  मुकदमा में वादी  बन गये।  जबकि नाबालिग मरीज़ के माता पिता को ही वादी बनने अधिकारी है। उसने बैगर आधार के वर्षों तक कोर्ट के अलावा स्वास्थ्य विभाग को भी हलकान किए रखा। उससे लड़ते हुए डॉ सिंह वकालत की पढ़ाई भी शुरू कर दिए। मुकदमे में जीत पिछले साल के अंत मे मिल गई और वकालत की डिग्री कोरोना के चलते प्रभावित हो गई जो इस साल मिल जाएगी। डॉ. सिंह सिंह ने मुकदमे में मिली जीत के बारे में बताने की बजाय सीधे राष्ट्रीय उपभोक्ता कमीशन के फैसले की कॉपी ही थमा दी और कहा कि अब मेरी ओर से वादी मुकदमा और उनके सहयोगियों में अधिवक्ता के खिलाफ 10 करोड़ क्षतिपूर्ति का दावा किया जाएगा। इससे समाज मे यह संदेश जाएगा कि यदि कोई भी डॉक्टर यदि किसी मरीज का शासन के सरकार व खासकर स्वास्थ्य विभाग और मंत्रालय द्वारा निर्धारित मानक पर इलाज करते है तो उन्हें किसी की धमकी या ब्लैकमेलिंग से डरने के बजाय मुकदमे का सामना करना चाहिए। डॉ सिंह ने कहा कि इस दौरान मुझे शारीरिक, मानिसक और आर्थिक क्षति हुई। मेरी प्रैक्टिस बाधित हुई। मेरे तमाम  मरीजों को भी तकलीफ हुई जिन्हें मुझपर भरोसा था लेकिन अंतत: मिले फैसले ने सत्य की जीत  ने न्यायालय पर वि·ाास को और दृढ़ कर दिया। इतना जरूर है कि मेरे जीवन की धारा बदल गई। अब वकालत की डिग्री मिलने के बाद खासकर चिकित्सकों का मुकदमा मैं खुद लड़ूंगा ताकि कोई गलत तरीके से फर्जी मुकदमा की धमकी देकर अनर्गल पैसा वसूली न कर सके।

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