#JaunpurLive : माफ़िया का बदलता स्वरूप 18,जौनपुर प्रशासन ने दबी फ़ाइल की झाड़ी धूल



 -18 अध्याय एपिशोड में पिछले संघर्ष से मिली सफलता की गाथा पाठकों के लिए है।
-जौनपुर प्रशासन ने दबी फ़ाइल की धूल झाड़ी तो 1150 भू-माफ़िया और डेढ़ हजार से ज्यादा भवन सरकारी ज़मीन पर बने पकड़ में आए।
 जौनपुर। सोशल मीडिया के प्लेटफार्म से शुरू हुई भू-माफ़िया की कहानी दरअसल अपने शहर को सुंदर देखने की ललक का नतीजा है। इसके पीछे जिले के सहारा न्यूज नेटवर्क का भरपूर सहयोग रहा है। ब्यूरो प्रभारी कमर हसनैन दीपू, सीनियर रिपोर्टर हिम्मत बहादुर सिंह और फोटो जर्नलिस्ट रवि राजन श्रीवास्तव मेरे एक इशारे पर सुबूत एकत्र करने में अनवरत लगे रहे। यदि सुबूत न होते तो जिस झील को खोदने में हम लगे रहे उसमें आबाद भू-माफ़िया यानी खूंखार जल जीव हमारी टीम को निगल जाते और डकार भी नहीं लेते। वैसे हमारी टीम के मेम्बर पुरानी फिल्मों वाले पत्रकार नहीं हैं जिन्हें आसानी से कत्ल कर दिया जाता रहा। टीम ने सामुदायिक काम किया जिसका नतीजा अब मीडिया की सुर्खियों में है। एक हजार कोस रहे तो लाखों लोग दुआएं दे रहे।हमने दो स्थानों की दर्जनों एकड़ ज़मीन वाजिदपुर से जेसीज चौराहा और खरका कालोनी में आबाद भवनों पर नज़र डाली तो प्रशासन ने 16 स्थानों से सैकड़ों एकड़ ज़मीन खोज निकाली जो फाइलों में धूल फांक रही थी। ये ज़मीन अधिकतर ख़तरनाक जलजीवों एनाकोंडा, मगरमच्छ, घड़ियाल, विषैले सांपों के अलावा कोबरा, करैत और शिकारी मछलियों के जबड़ों में दबी पड़ी थी।
अब हम इसे घासलेटी नॉवेल की तरह लम्बा नहीं खींचेंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासन में शायद पहली बार कोई आईएएस डीएम बनकर आया जो बोलने की बजाय केवल विकास कार्य और कानून व्यवस्था पर ध्यान दिया। डीएम मनीष कुमार वर्मा ने मेरे टीम मेम्बर से कहाकि क्या ये एपिशोड ज़मीनों और स्वास्थ्य से जुड़े मामले सच हैं फिर इसकी तहकीकात कराते हैं। खोज में 1150 भू-माफ़िया, डेढ़ हजार से ज्यादा अवैध भवन बगैर नक्शा पास हुए सरकारी ज़मीनों को दबाए मिले। अब प्रशासन बीच का रास्ता अख़्तियार करने को शासन से गाइड लाइन मांगा है। यदि अनुमति मिली तो इन हरित भूमि ग्रीन लैंड से कम्पाउंड फ़ीस जिसमें विकास शुल्क, पेनाल्टी शामिल होगी, इसे लेकर फ्रीहोल्ड किया जाएगा। इसके जरिये लगभग 600 करोड़ राजस्व लेने का खाका बन गया है। इस रकम से जहाँ जौनपुर विकास प्राधिकरण यानी जेडीए स्थापित होगा वहीं पिकनिक स्पॉट भी बन सकते हैं। हमारी टीम ने तय किया था कि शुरुआत सोशल प्लेटफार्म से करेंगे और और प्रशासन का ऐक्शन प्रिंट मीडिया में होगा। अब हमारे पाठक और मित्र इस कार्रवाई को पढ़ रहे हैं। एक साथी ने आगे होने वाली कार्रवाई के बारे में पूछा था, उनके सवाल का जवाब भी इसमें निहित है। वैसे भी हर पाठक के लिए हमारी जवाबदेही बनती है। एक साथी का सवाल हम प्रशासन की तरफ मोड़ते हैं। वह यह कि वन विहार से निकला नाला जब चांदमारी से आगे बढ़ा और झील में पहुंचकर भैंसा नाला का नाम पाया जो जोगियापुर होते हुए गोमती में समाया, अब उसका क्या होगा? नाला बंद है, बाढ़ आई तो तमाम भवन कश्मीर का शिकारा बन जाएंगे। क्रमशः
Previous Post Next Post

Contact us for News & Advertisement

Profile Picture

Ms. Kshama Singh

Founder / Editor

Mo. 9324074534