#JaunpurLive : टूट जाने से पहले!

#JaunpurLive : टूट जाने से पहले!


याद आती है आपकी चले आइए,
मोहब्बत  है  आप  से चले आइए।
कब के गए  आप अभी लौटे नहीं,
कोई रास्ता निकालके चले आइए।
समंदर  से  भी  गहरा  मेरा प्यार है,
इसमें  डुबकी  लगाने चले आइए।
मोहब्बत के फासले ये अच्छे नहीं,
तोड़कर  सारे  बंधन  चले आइए।
धड़कते हो धड़कन में यूँ रात-दिन,
ताकत साँसों की बढ़ाने चले आइए।
थाल पूजा की लेकर खड़ी मैं यहाँ,
आरती उतरवाने आप चले आइए।
आईने की तरह  है ये मेरी जिंदगी,
टूट जाने से पहले खुद चले आइए।
तन्हाई  में ये  रातें  कटती  ही नहीं,
दम  उखड़ने से  पहले चले आइए।
प्यार की  दुपहरी में दिल जल रहा,
बूँदा-  बाँदी  तो  करने  चले आइए।
इस हरे-भरे उपवन का मैं करूँ क्या ?
बनकर भौंरा रस चूँसने चले आइए।
मयकशी  ये  बदन अब बस में नहीं,
ज़ाम  आँखों  से  पीने  चले  आइए।

रामकेश एम.यादव(कवि,साहित्यकार),मुंबई
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