#JaunpurLive : तू आया नहीं( श्रृंगार रस)



तेरी जरूरत थी मुझे पर तू आया नहीँ
सपने बुने थे तेरे लिए अपने दिल में 
पर सपनों को तुमने सजाया नहीं। 
तेरी जरूरत थी मुझे पर तू आया नहीं।। 

        यूं तो बहुत मासूम हो तुम, कभी दिल को दुखाया नहीं। 
         पर जब भी दुखाया है, लौट के कभी मनाया नहीं। 
         एहसास थे मेरे दिल में तेरे लिए ,
        पर उन एहसासों को तुमने कभी अपनाया नहीं । 
        सपने थे मेरे दिल में ,तेरे साथ जीने मरने की 
        पर उन सपनों को तूने हकीकत बनाया नहीं , 
       तेरी जरूरत थी मुझे पर तू आया नहीं। 

तू हो चुका है किसी और का, 
पर आज भी तुम मेरे लिए पराया नहीं । 
देखती है ये निगाहें आज भी तेरा रास्ता, 
मैंने तो भुला दिया तुझे 
पर इस दिल ने आज तक भुलाया नहीं , 
तेरी जरूरत थी मुझे पर तू आया नहीं।। 
           
        शायद याद आती होगी मेरी तुझे आज भी, 
        पर दिल में तो कभी बसाया नहीं। 
        बस इतनी सी गुजारिश है तुझसे मेरी, 
        बेपनाह मोहब्बत की है तुझसे, 
        खुद को मेरी अमानत समझ कर
        कोई तकलीफ अपने आप को पहुंचाना नहीं। 
        जब भी दिल करे चले आना घबराना नहीं
        तुम पहले मेरे जिंदगी में जैसे थे , 
       आज भी वैसे हो 
       मैंने कभी अपने दिल से तुझे भगाया नहीं 
       हां ,आज भी तेरी जरूरत है मुझे पर तू आया नहीं। 
      मेरे बुने  सपने को तुमने सजाया नहीं 
     हां, आज भी मुझे तेरी जरूरत है पर तू आया नहीं......

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