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नई शिक्षा नीति की पहली वर्षगांठ - एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट, निष्ठा, सफल, विद्या प्रवेश सहित अनेक योजनाएं देश को समर्पित | #NayaSaberaNetwork



शिक्षा की नई योजनाएं भारत को ज्ञान आधारित, जीवंत समाज और ज्ञान की वैश्विक महाशक्ति में बदलने के अनुकूल - एड किशन भावनानी
नया सबेरा नेटवर्क
गोंदिया - भारत में शिक्षा, ज्ञान को मां सरस्वती का ब्रह्माअस्त्र कहा जाता है। हमारी यह पुरखों से परंपरा रही है कि किसी भी प्रकार के शैक्षणिक या ज्ञान के कार्यक्रम में हम कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की वंदना से ही करते हैं। यह हमारे भारत माता की धरती के शैक्षणिक क्षेत्र की पहचान है।...साथियों बात अगर हम नई शिक्षा नीति की करें तो 29 जुलाई 2020 को नई शिक्षा नीति को लागू किया गया था जो 1986 की 34 साल पुरानी शिक्षा नीति के स्थान पर लाई गई थी जिसमें प्राइमरी से लेकर हायर एजुकेशन में एडमिशन लेने तक नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत बदलाव शामिल किए गए थे।...साथियों बात अगर हम 29 जुलाई 2021 की करें तो आज एनईपी को एकवर्ष पूर्ण हुआ, जिसके उपलक्ष में एक वर्चुअल कार्यक्रम हुआ जिसमें पीएम सहित केंद्रीय शिक्षा मंत्री, कई राज्यों के मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, राज्यपाल, उपराज्यपाल विश्वविद्यालयों के कुलपति, शिक्षा क्षेत्र व कौशल विकास क्षेत्र से जुड़े देश भर के नीति निर्माता, विद्यार्थी और शिक्षक शामिल हुए।...साथिया बात अगर हम कार्यक्रम में माननीय पीएम द्वारा घोषित भारत को ज्ञान आधारित जीवंत समाज और ज्ञान की वैश्विक महाशक्ति में बदलने के अनुकूल कुछ योजनाओं की करें तो, नई शिक्षा नीति के एक साल पूरा होने के अवसर पर उन्होंने कहा कि ये कार्यक्रम नए भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभाएंगे। लॉन्च की गईं योजनाओं में विद्या प्रवेश, भारतीय साइन लेंग्वेज की विषय के तौर पर शुरुआत, निष्ठा 2.0, सफल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर जन जागरुकता के लिए वेबसाइट का शुभारंभ, एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की शुरुआत, क्षेत्रीय भाषाओं में प्रथम वर्ष के इंजीनियरिंग कार्यक्रम, उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिए गाइडलाइंस, नेशनल डिजिटल एजुकेशन आर्किटेक्चर (एनडीईएआर) एवं नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम (एनईटीएफ) शामिल हैं।...साथियों बात अगर हम एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एबीसी) सुविधा की करें तो, यूजीसी के नोटिफिकेशन के अनुसार,एबीसी सुविधा विद्यार्थी के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की सुविधा होगी। इसके जरिए विद्यार्थियों को बीच में पढ़ाने छोड़ने, उस पढ़ाई का प्रमाण पत्र पाने और फिर जहां से उसने पढ़ाने छोड़ी है वहां से ही शुरू करने की सुविधा दी जाएगी। इस सुविधा के जरिए विद्यार्थी जरूरत पड़ने पर अपना पाठ्यक्रम बदल सकेंगे, विषय बदल सकेंगे यही नहीं वे पूरी तरह से अपना डिसिप्लिन बदल सकेंगे। याने कि कॉमर्स का विद्यार्थी साइंस ले सकेगा, आर्ट्स का विद्यार्थी भौतिकी की पढ़ाई कर सकेगा।खास बात यह है कि उसने अबतक जो पढ़ाई की है वो बेकार नहीं जाएगी, बल्कि इसका क्रेडिट स्कोर उसके खाते में जुड़ेगा। बच्चों के इस क्रेडिट का रिकॉर्ड एबीसी में रखा जाएगा। हर विद्यार्थियों के लिए एक अकाउंट बनाया जाएगा, जहां उसके अध्ययन से जुड़ी जानकारियां रखी जाएंगी, इससे पाठ्यक्रम ढांचे को व्यापक स्तर पर लचीलापन मिलेगा। एबीसी छात्रों को विषयों का विकल्प प्रदान करेगा, इसके अलावा विद्यार्थियों के पास अध्ययन के लिए नए विषय, नए तरीके,आकर्षक पाठ्यक्रम प्रदान करेगा। कुल मिलाकर इससे विद्यार्थियों को अध्ययन के लिए स्वायत्तता मिलेगी, उनके पास देश के कई संस्थानों में पढ़ने का विकल्प होगा। जानकारी के अनुसार यूजीसी से मान्य सभी हायर इंस्टीट्यूट के कोर्सेस के साथ-साथ इंजीनियरिंग, मेडिकल, डेंटल, लॉ और अन्य प्रोफेशनल कोर्सेस को भी कवर करेगा। हालांकि, इनमें से कई कोर्सेस अलग-अलग प्रोफेशनल बॉडी द्वारा रेगुलेट किया जाएगा। एबीसी के लिए उनकी मंजूरी मांगी जाएगी।एबीसी में स्टोर क्रेडिट की अधिकतम सेल्फ लाइफ सात साल होगी। इसके बाद इसका फायदा नहीं मिलेगा।यदि इंस्टीट्यूशन में अलग नियम हैं तो उसका फायदा छात्रों को मिल सकता है। इस कदम के कारण छात्र अपनी क्षमता और ज्ञान की आवश्यकता के अनुरूप बेहतरीन पाठ्यक्रम या पाठ्यक्रमों के संयोजन का चयन करने में सक्षम होंगे। यह छात्रों को एक विश्वविद्यालय या स्वायत्त कॉलेज की अनम्य, नियमित रूप से परिभाषित डिग्री या पाठ्यक्रमों का पालन करने के बजाय अपनी डिग्री को निजीकृत करने या विशिष्ट समायोजन या विशेषज्ञता बनाने की अनुमति देगा।उपरोक्त जानकारी में यूजीसी साइट टीवी चैनलों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की सहायता ली गई है।...साथिया बात अगर हम कार्यक्रम में पीएम के संबोधन की करें तो उन्होंने कहा कि योजना के माध्यम से सभके लिए आसान पहुंच, इक्विटी गुणवत्ता, वहनीयता और जवाब देही के आधारभूत स्तंभों पर निर्मित यह नई शिक्षा नीति सतत विकास के लिए एजेंडा 2030 के अनुकूल है। इसका उद्देश्य 21वीं सदी की जरूरतों के अनुकूल स्कूल और कॉलेज की शिक्षा को अधिक समग्र, लचीला बनाते हुए भारत को एक ज्ञान आधारित जीवंत समाज और ज्ञान की वैश्विक महाशक्ति में बदलना तथा प्रत्येक छात्र में निहित अद्वितीय क्षमताओं को सामने लाना है।...साथियों बात अगर हम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर पीएम के 20 जुलाई 2021 के अनेकों ट्वीटस की करें तो उन्होंने लिखें, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति युवाओं कोये विश्वास दिलाती है कि देश अब पूरी तरह से उनके साथ है, उनके हौसलों के साथ है। जिस आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस के प्रोग्राम को अभी लॉंच किया गया है, वो भी हमारे युवाओं को भविष्य वर्धक बनाएगा, अल संचालित अर्थव्यवस्था के रास्ते खोलेगा। 21वीं सदी का आज का युवा अपनी व्यवस्थाएं, अपनी दुनिया खुद अपने हिसाब से बनाना चाहता है। इसलिए, उसे खुलासा चाहिए, उसे पुराने बंधनों, पिंजरों से मुक्ति चाहिए। भविष्य में हम कितना आगे जाएंगे, कितनी ऊंचाई प्राप्त करेंगे,ये इस बात पर निर्भर करेगाकि हम अपने युवाओं को वर्तमान में यानि आज कैसी शिक्षा दे रहे है, कैसी दिशा दे रहे हैं। मैं मानता हूं भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति राष्ट्र निर्माण के महायज्ञ में बड़े कारकों में से एक है। अतः उपरोक्त विवरण का अगर हम अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम देखेंगे कि नई शिक्षा नीति की पहली वर्षगांठ पर एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट, निष्ठा, सफल, विद्या प्रवेश सहित अनेक योजनाएं जो लांच की गई है वह शिक्षा क्षेत्र में भारत को ज्ञान आधारित जीवंत समाज और ज्ञान की वैश्विक महाशक्ति में बदलने के अनुकूल सिद्ध होगी।

-संकलनकर्ता कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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