नया सबेरा नेटवर्क
जौनपुर। ये जिंदगी के मेले दुनिया में कम न होंगे, अफसोस हम न होंगे। फिल्म मेला का ये अमर गीत आज मन को झकझोर गया। ये गीत दिलीप कुमार पर फिल्माया गया था। मेले आज भी होंगे, कल भी होंगे पर फिल्म जगत के नायाब सितारे दिलीप कुमार उसमें नहीं होंगे। उक्त बातें नगर के परमानतपुर स्थित कोशिश संस्था के कार्यालय पर प्रो. आरएन सिंह ने कही। इस मौके पर डा. पीसी विश्वकर्मा ने कहा कि भारतीय फिल्म जगत में दशकों तक अपने अभिनय के बल पर अभूतपूर्व मान-सम्मान, प्रतिष्ठा एवं दर्शकों के दिल पर राज करने वाले भारतीयता के प्रति समर्पित, मानव मूल्यों के प्रबल पक्षधर, सहअस्तित्व के प्रतीक, पारिवारिक आदर्शों को जीवन में जीने वाले हर दिल अजीज दिलीप कुमार हमारे बीच नहीं रहे। साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था कोशिश के साहित्यकारों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने दिलीप कुमार के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए इसे फिल्म जगत के लिये अपूरणीय क्षति बताया। वरिष्ठ गीतकार गिरीश ने उन्हें अनमोल व्यक्तित्व का धनी बताया। कोशिश के अध्यक्ष जनार्दन प्रसाद अस्थाना ने उनके किरदार को बेजोड़ बताया। सामाजिक कार्यकर्ता संजय उपाध्याय, अशोक मिश्रा, डा. राम मोहन सिंह ने कहा कि दिलीप साहब एक अनूठे इंसान और सामाजिक एकता के पोषक थे।
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