नया सबेरा नेटवर्क
फूल!
रंग - बिरंगे फूल हमें बुलाते हैं,
हम उन्हें, वो हमें देख मुस्काते हैं।
खुशबू बिखेरते रहते फिजाओं में,
हमारे खोये सपने वो सजाते हैं।
हवा के झोंकों से वो हिलते हैं जब,
बड़ी ही सादगी से गले लगाते हैं।
फूलों से हमारा है अनजान रिश्ता,
बड़े अदब से वो रिश्ता निभाते हैं।
कुदरत ने हुस्न बख्शा है फूलों को,
तितलियों को रोज रस पिलाते हैं।
बदलती है रुत औ बदलता है मौसम,
खिज़ा के आने से वो नहीं घबराते हैं।
जब कोई जाता है उनकी गोंद में,
उसकी पाठशाला वो बन जाते हैं।
गलियों में उनके न छाता अँधियारा,
जुगुनू की रोशनी से नित्य नहाते हैं।
पाकीजगीभरी आँख से देखते सभी को,
पाते हैं शरीफ तब खिलखिलाते हैं।
नहीं घबराते इस क्षणिक जीवन से,
सर्वस्य लुटाकर जन्म सफल बनाते हैं।
रामकेश एम.यादव(कवि,साहित्यकार),मुंबई
from Naya Sabera | नया सबेरा - No.1 Hindi News Portal Of Jaunpur (U.P.) https://ift.tt/3f18Mei
Tags
recent