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कोरोना से जान गंवाने वालों के परिजनों को बड़ी राहत - प्रवासी मजदूरों को राहत - सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुआवजे सहित दो बड़े फैसले | #NayaSaberaNetwork

कोरोना से जान गंवाने वालों के परिजनों को बड़ी राहत - प्रवासी मजदूरों को राहत - सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुआवजे सहित दो बड़े फैसले | #NayaSaberaNetwork


नया सबेरा नेटवर्क
कोरोना महामारी राहत पर दो दिन में सुप्रीम कोर्ट के 2 बड़े फैसले - मृत्यु पर परिजनों को मुआवजा और वन नेशन वन कार्ड, कम्युनिटी किचन से आम जनता को राहत - एड किशन भावनानी
गोंदिया - भारत में कोरोना महामारी की इस दूसरी लहर से हर नागरिक आर्थिक रूप से त्रस्त हुआ तथा संभावित डेल्टा प्लस प्रकोप से भयग्रस्त और चिंतित है। भारतीय परिवार जिन्होंने अपनों को खोया है उसमें हम सभी और और भी बहुत दुखी हैं। कई बच्चे अनाथ हुए हैं, कई परिवारों के कमाने वाले अब नहीं रहे, उनके सामने भविष्य रूपी पहाड़ खड़ा है उसे पार करने की दुविधा में फंसे हैं। हालांकि सरकारें भी अनेक राहतें उपलब्ध करवा रही है। 28 जून 2021 को ही 6.29 लाख करोड़ का पैकेज दिए हैं। परंतु अगर हम पिछले साल की बात करें तो 14 मार्च 2020 को केंद्र सरकार ने देश में कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों की सहायता के लिए मुआवजे का एलान किया था। गृह मंत्रालय ने कहा था कि कोरोना वायरस से मरने वाले व्यक्ति के परिवार को 4 लाख रुपये का भुगतान किया जाएगा, इसमें राहत कार्यों में या प्रतिक्रिया गतिविधियों में शामिल लोगों कोभी इसका लाभ मिलेगा। हालांकि सरकार ने इसके कुछ घंटे बाद जारी अधिसूचना में मुआवजे को लेकर और स्पष्टीकरण दिया था, भारत सरकार के जॉइंट सेक्रेटरी ने अधिसूचना जारी कर इसकी जानकारी दी थी, उन्होंने बताया था कि अब स्टेट डिजास्टर रेस्पॉन्स फंड के तहत कोरोना वायरस के इलाज में होने वाले खर्च को दिया जाएगा। इसका मतलब यह है कि अब अगर कोई कोरोना वायरस की चपेट में आता है, तो उसके आइसोलेशन और जांच से लेकर इलाज तक में होने वाला खर्च ही सरकार देगी। स्टेट डिजास्टर रेस्पॉन्स फंडसे धनराशि देने का फैसला भी राज्य सरकार करेगी...। बात अगर हम बुधवार दिनांक 30 जून 2021 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की करें तो आदेश कॉपी और टीवी चैनलों में बताइए समाचार अनुसार माननीय दो जजों की बेंच जिसमें माननीय न्यायमूर्ति अशोक भूषण और माननीय न्यायमूर्ति एमआर शाह की बेंच ने रिट पिटिशन (सिविल) क्रमांक 554/2021और 539/2021 याचिकाकर्ता बनाम यूओआइ के मामले में अपना फैसला 66 पृष्ठोंऔर 17 पॉइंटों के आदेश के पॉइंटनंबर 16 में कोर्ट ने एनडीएमए को डीएमए की धारा 12 (iii) के तहत अनिवार्य रूप से कोविड-19 के कारण मरने वाले व्यक्तियों के परिवार के सदस्यों के लिए अनुग्रह राशि के लिए दिशा-निर्देशों के साथ आने का निर्देश दिया। कोर्ट ने आगे कहा कि अनुग्रह सहायता के रूप में कितनी राशि दी जानी है, यह राष्ट्रीय प्राधिकरण के विवेक पर छोड़ दिया गया है। वे अदालत द्वारा की गई टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए राशि तय करने पर विचार कर सकते हैं। वे आवश्यकता, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के तहत फंड की उपलब्धता और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण केंद् द्वारा निर्धारित प्राथमिकताओं, राहत के न्यूनतम मानकों के लिए किए गए फंड आदि पर भी विचार कर सकते हैं। उपरोक्त निर्देशों को 6 सप्ताह की अवधि के भीतर समायोजित किया जाना चाहिए। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि मौत का सही कारण यानी कोविड-19 के कारण मृत्यु का कारण बताते हुए मृत्यु प्रमाण पत्र/आधिकारिक दस्तावेज जारी करने के लिए सरल दिशानिर्देश तैयार किए जाएं। दूसरे शब्दों में शीर्ष अदालत ने कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को एक बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने ऐसे परिजनों को मुआवजा देने का आदेश दिया है। कोर्ट नेएनडीएमए को निर्देश दिया कि कोविड-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को आर्थिक मदद देने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए जाएं। कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया कि कोविड-19 से मारे गए लोगों के परिवारों को दी जाने वाली आर्थिक मदद की राशि, हर पहलू को ध्यान में रखते हुए निर्धारित की जाए और माननीय कोर्ट ने कहा कि मुआवजा तय करना सरकार का काम हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुआवजे की रकम या नियम तय करना उसका काम नहीं है। अदालत ने एनडीएम ए को दायित्व निभाने में नाकामी पर फटकार भी लगाई। कोर्ट ने कहा कि एनडीएमए को वैधानिक तौर पर मुआवजा तय करने और दिलवाने की सिफारिश करने का अधिकार है, लेकिन ऐसा न करके वह अपने वैधानिक कर्तव्य का पालन करने में विफल रहा है। उसे मुआवजा समेत मिनिमम स्टैंडर्ड की राहत तो कम से कम देनी ही चाहिए। यह आवश्यक है हालांकि, कोर्ट ने यह जवाब याचिका कर्ताओं द्वारा दायर उन याचिकाओं पर दिया है, जिसमें कोविड-19 महामारी से मारे गए लोगों के परिवार के सदस्यों को आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत  चार लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की गई थी।...बात अगर हम मंगलवार दिनांक 29 जून 2021 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की करें तो राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा था कि वह 31 जुलाई 2021 तक वन नेशन वन राशन कार्ड स्कीम लागू करें ताकि अपने राज्य से दूसरे राज्य में गए प्रवासी मजदूरों को राशन आसानी से मिल सके। तथा केंद्र सरकार को निर्देशित किया कि वह असंगठित मजदूरों के रजिस्ट्रेशन के लिए पोर्टल डेवलप करें ताकि उन्हें स्कीमों का फायदा मिल सके। तथा केंद्र, राज्यों को राशन मुहैया करवाएं जब तक देश में महामारी से पनपे हालात समाप्त नहीं हो जाते तब तक राज्य कम्युनिटी किचन चलाएं।...बात अगर हम दिनांक 30 जून 2021 को प्रधानमंत्री द्वारा ली गई हाई लेवल मीटिंग की करें तो दो दिन पहले एक बड़ा निर्णय घोषित किया था कि जिनको कोविडके चलते दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने ऐसे सभी क्षेत्रों को 6.28 लाख़ करोड़ रुपये की मदद का खाका बताया था। कैबिनेट ने उसे मजूरी दी। वहीं, कैबिनेट भारत नेट को पीपीपी के माध्यम से देश के 16 राज्यों में 29,432 करोड़ रुपये के कुल खर्च को भी मंजूरी दी है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो कोरोना से जान गंवाने वालों के परिजनों को मुआवजे के फैसले के रूप में बड़ी राहत माननीय कोर्ट द्वारा दी गई है और असंगठित मजदूरों को वन नेशन वन कार्ड, कम्युनिटी किचन के रूप में राहत दी गई है जो सराहनीय है। 
-संकलनकर्ता- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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