जौनपुर। राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक एवम सांस्कृतिक संस्था काव्यसृजन अपनी १०० वीं काव्यगोष्ठी का आयोजन 12 अगस्त से 18 अगस्त 2021 तक लगातार सात दिनों तक सायं 5-30 से 7-30 तक गूगलमीट पर करने जा रही है। इसमें प्रत्येक दिन का आयोजन अलग अलग भारतीय भाषाओँ / बोलियों का होगा जिसका संचालन एवम काव्य पाठ सब उसी भाषा / बोली का होगा, लगभग ७ भाषाओं में ये गोष्ठीयां आयोजित की जायेगी,वैसे तो संस्था हर महीने के प्रथम रविवार को मासिक काव्यगोष्ठी का आयोजन करती रही हैं है पर जब से कोरोना ने देश में पैर पसारे तब से संस्था आनलाईन गूगल मीट/ विडियो लाईव द्वारा सतत आयोजन करती आ रही है|इन सौ मासिक काव्यगोष्ठियों के इतर भी कई कार्यक्रम संस्था ने किये, जैसे सामाजिक जागरुकता के लिए परिचर्चा आयोजित की,जिसमें देश के विद्वानों ने सबको सजग रहने के लिए अपने सुझाव दिए। कोरोना से क्या खोया क्या पाया इस विषय पर भी चर्चा काव्य सृजन के पटल पर की गई। लोगों के मनोरंजन के लिए संस्था ने हास्य -गीत -संगीत के भी बीच बीच में आयोजन कर लोगों को अवसाद से निकालने में अपनी भूमिका का निर्वहन किया। हिन्दी के अलावां अन्य आंचलिक भारतीय भाषाओं / बोलियों के उत्थान तथा सामाजिक समन्वय के लिए भी संस्था सभी विद्वानों के सहयोग से काम कर रही हैं इसी क्रम में मराठी - बांग्ला - भोजपुरी - राजस्थानी आदि में काव्यगोष्ठियाँ कर अपने उद्देश्यों हेतु सतत प्रयासरत हैं। संस्था की महिला इकाई भी बड़ी तन्मयता के साथ हिन्दी उत्थान में अपना योगदान दे रही है| वह भी मासिक - द्वय मासिक काव्यगोष्ठी कर पूरे देश क्या विदेश तक में हिन्दी विषय पर काम कर रही है। १०० मासिक काव्यगोष्ठी आयोजित करना यह संस्था की विशेष उपलब्धि है|इस मुकाम तक बहुत कम ही साहित्यिक संस्थाएं पहुँच पाती हैं,वह भी बिना रुके। बाधायें काव्यसृजन की राह में भी बहुत आईं परन्तु संस्था के संस्थापक पं.शिवप्रकाश जौनपुरी जी की दृढ़ इच्छाशक्ति और परम आदरणीय विद्वानों हौंसिला अन्वेषी जी,स्व.डॉ राम नाथ राना, डॉ श्रीहरि वाणी व मोतीलाल बजाज जी के सतत मार्गदर्शन में के सचिव लालबहादुर यादव कमल,उपाध्यक्ष द्वय पं.श्रीधर मिश्र,जिलाजीत यादव,कार्याध्यक्ष प्रा.अंजनी कुमार द्विवेदी,उप सचिव द्वय अवधेश यदुवंशी,सुनील राना,कोषाध्यक्ष बीरेन्द्र कुमार यादव,उपकोषाध्यक्ष सौरभ दत्ता जयंत व प्रवक्ता आनंद पाण्डेय "केवल" जी ने सभी अवरोधों को हटाते हुए सभी बाधाओं को दूर करते हुए संस्था को एक नई ऊँचाई पर पहुँचाने में तन मन धन से सहयोग कर एक पहचान दी है|आज संस्था काव्यसृजन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना परचम फहरा रही है तो उपरोक्त लोगों के परिश्रम व लगन की बदौलत और हम सभी के सामूहिक प्रयासों को, तभी हम इतनी दूरी तय कर सके। आज संस्था इन्हीं लोंगो के सहयोग से १००वीं काव्यगोष्ठी एक काव्य महोत्सव के रूप मनाने जा रही है।
जिसमें प्रथम दिन
१२ अगस्त २०२१ दिन गुरुवार सायं ५.५.३० बजे से मराठी काव्य गोष्ठी का आयोजन होगा| जिसका संयोजन सौ.पूजा नाखरे व रंजना करकरे जी करेंगी।
१३ अगस्त २०२१ दिन शुक्रवार सायं ५.३० बजे से बांग्ला काव्य गोष्ठी का आयोजन होगा| जिसका संयोजन सौरभ दत्ता जयंत जी करेंगे।
१४ अगस्त २०२१ दिन शनिवार सायं ५.३० बजे राजस्थानी काव्य गोष्ठी का आयोजन होगा,जिसका संयोजन डॉ श्रीहरि वाणी जी करेंगे।
१५ अगस्त २०२१ दिन रविवार सायं ५.३० बजे राष्ट्रीय गीत हिन्दी भाषा में आयोजन होगा|जिसका संयोजन पं.श्रीधर मिश्र जी करेंगे।
१६ अगस्त २०२१ दिन सोमवार सायं ५.३० बजे भोजपुरी / अवधी काव्य गोष्ठी का आयोजन होगा|जिसका संयोजन लालबहादुर यादव कमल जी करेंगे,और सबके सहयोग में पूरी टीम लगी रहेगी।
१७ अगस्त २०२१ दिन मंगलवार सांय ५.३० बजे काव्यसृजन महिला मंच की काव्य गोष्ठी होंगी जिसका संयोजन काव्यसृजन महिला मंच महाराष्ट्र इकाई करेगी।
१८ अगस्त २०२१ दिन बुधवार ५.३० बजे काव्यसृजन दिल्ली शाखा द्वारा आयोजन होगा,जिसका संयोजन इकाई अध्यक्ष पंकज तिवारी जी करेंगे।
इसके बाद सभी को सहभागिता के लिए काव्यसृजन रत्न से सम्मानित करने के लिए २२अगस्त दिन रविवार को सायं५.३० बजे से सम्मान समारोह ह्वाटसैप पर आयोजित किया जायेगा|जिसका संयोजन काव्यसृजन परिवार करेगा।
गोष्ठियाँ तो सभी साहित्यिक संस्थायें करती हैं,मगर काव्यसृजन इन सबसे अलग व हटकर काम करती है, काव्यसृजन ही एक इकलोती ऐसी संस्था है जिसने गोष्ठी में आने वाले कवियों का उत्साह बढ़ाने के लिए व उभरते हुए समाज के हर तबके के लोगों के लिए वार्षिक सम्मान समारोह आयोजित करना शुरू किया|इससे लोगों में संस्था बनाने का व गोष्ठियों में जाने की ललक पैदा हुई|प्रतिभावान बच्चों का भी संस्था यथाशक्ति बीच बीच में सम्मान सहयोग करती रहती है। सभी साहित्य प्रेमी सादर आमंत्रित हैं काव्य सृजन के इस शतकीय गोष्ठी के अवसर पर १२से १८अगस्त २०२१तक काव्यसृजन के काव्योत्सव में,प्रतिदिन सायं 5-30 से 7-30 के बीच,आप सभी साहित्यप्रेमी श्रोता - कवि - कवयित्री इस खूबसूरत आनंदाई अवसर का लाभ लें, सुने - सुनाएं - सम्मान भी पायें।
पं.शिवप्रकाश जौनपुरी
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