नया सबेरा नेटवर्क
कोविड गाइड लानइ के तहत मजलिस मातम का सिलसिला जारी
जुलूस की इजाजत न मिलने पर अजादार मायूस, आज रखे जायेगें ताजिये
जौनपुर। माहे मुहर्रम की आठ तारीख खत्म हो गई और नौवीं मुहर्रम को लोग अपने घरों के अज़ाखाने व इमामबाड़ों में ताजि़या रखने की तैयारी में जुटे हुए हैं। नगर के सिपाह, बलुआघाट, अटाला, बाजार भुआ, पानदरीबा, मुफ्ती मुहल्ला, कटघरा, ख्वाजादोस्त, पोस्ती खाना, तारापुर कालोनी, मंडी अहमद खां सहित प्रमुख स्थानों पर कोविड गाइड लाइन के तहत मजलिसों व मातम का सिलसिला जारी है। हालांकि जुलूस की इजाज़त न मिलने की वजह से लोगों मे मायूसी दिखाई पड़ी पर वे हज़रत इमाम हुसैन व उनके 71 साथियों का गम मनाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इसी कड़ी में सदर इमामबाड़ा बेगमगंज में मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना ने कहा हर मुसलमान का फरीज़ा है दुनिया में जहां कहीं भी ज़ुल्मों सितम हो उसके खिलाफ आवाज़े एहतेजाज बुलंद करें। मौलाना सैय्यद अली यासिर रिजवी ने कहा कि मोहर्रम अज़ादारी-ए सैय्यद शोहदा सिर्फ शियों से मखसूस नहीं बल्कि दुनिया का हर बा ज़मीर आदमी इमाम हुसैन का गम मनाता है। मुहर्रम उल हराम एक तहरीक है और यह कयामत तक जारी रहेगी सैय्यदुशोहदा ने कर्बला के मैदान में कुर्बानी देकर इस्लाम को बचा लिया। अगर इमामे हुसैन ने कर्बला में अपने जिगर के पैरों को राहे खुदा में कुर्बान ना किया होता तो आज इस्लाम का नामोनिशान ना होता, कर्बला का सबसे बड़ा दर्स ज़ुल्म और ज़ालिम से मुकाबला करना है। मौलाना ने कहा कि अजादारीऐ इमामे हुसैन अ.स का अहम दसर््ा यह है कि हमें भी अपने माशरे को ऐसा माशरा बनाना चाहिए जैसा इमाम हुसैन चाहते हैं, कर्बला की जंग ज़ुल्मो सितम के खिलाफ थी जिस तरह फिरौन से जनाबे मूसा ने मुकाबला कर के फतह हासिल की उसी तरह इमामे हुसैन ने यज़ीद को इस तरह नीस्तो नाबूद कर दिया के अब कोई यज़ीद कयामत तक किसी हुसैन से बैयत तलब नहीं कर सकता। आखिर में मौलाना ने शबीहे रसूल जनाबे अली अकबर की शहादत के अलमनाक पहलू पर रौशनी डाली।
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