नया सबेरा नेटवर्क
राखी है रेशम का धागा,
औ भरा है इसमें प्यार।
एक सूत्र में बाँध ये देता,
रक्षाबंधन का त्योहार।
थाल सजाकर अक्षत-रोली,
माथे लगाती है चन्दन।
कर में राखी बाँध के बहना,
करती भाई का अभिनन्दन।
रक्षा- कवच बनना तू मेरा,
संकट में दौड़े आना।
भारत मैया की रक्षा में,
तू भी अपनी जान लुटाना।
धरती ओढ़े धानी चुनरिया,
कदम -कदम पर प्यार मिले।
जिस घर से तेरे भाग्य बँधे,
आंगन में सुन्दर फूल खिले।
जिस आँचल में है जग पलता,
उसका सदा सम्मान करो।
महफूज नहीं अब जग में औरत,
खून - खराबा बंद करो।
दुनिया की आधी आबादी,
अधिकारों से वंचित है।
आँख उठाकर कोई भी देखो,
वो खून से रक़्त -रंजित है।
रामकेश एम.यादव(कवि,साहित्यकार),मुंबई
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