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खादी की विरासत से जोड़ने का अनूठा प्रयास - खादी भारत डिजिटल क्विज़ प्रतियोगिता का शुभारंभ - खादी को राष्ट्रीय वस्त्र के रूप में अपनाने की अपील | #NayaSaberaNetwork

खादी की विरासत से जोड़ने का अनूठा प्रयास - खादी भारत डिजिटल क्विज़ प्रतियोगिता का शुभारंभ - खादी को राष्ट्रीय वस्त्र के रूप में अपनाने की अपील | #NayaSaberaNetwork


नया सबेरा नेटवर्क
खादी में नैतिकता और आध्यात्मिकता की आभा है - खादी में स्वदेश प्रेम और स्वदेश की भावना निहित है - एड किशन भावनानी
गोंदिया - भारत में खादी का नाम अगर आया तो स्वाभाविक रूप से महात्मा गांधी का नाम जेहन में भर पड़ता है। क्योंकि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में खादी का बहुत महत्व रहा है गांधीजी ने सन 1920 के दशक में गांव को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खादी के प्रचार प्रसार पर बहुत जोर दिया था। खादी यह भारत में हाथ से बनने वाले वस्त्रों को कहते हैं खादी वस्त्र सूती, रेशम, या ऊन से बने हो सकते हैं। इनके लिये बनने वाला सूत चरखे की सहायता से बनाया जाता है। खादी वस्त्रों की विशेषता है कि ये शरीर को गर्मी में ठण्डे और सर्दी में गरम रखते हैं।...साथियों बात अगर हम  के महत्व, उपयोग और सार्थकता की करें तो यह हमारे बड़े बुजुर्गों के अलावा कोई नहीं बता सकता। क्योंकि उन्होंने खादी को अपने ज़माने में बहुत प्रयोग भी किया हैं, परंतु वर्तमान बदलते परिवेश और आधुनिकता के साए में हम वर्तमान पीढ़ी ने खादी के तरफ ध्यान कम कर दिया है और पाश्चात्य संस्कृति, कला की और कुछ अधिक मुड़ गए हैं...। साथियों बात अगर हम खादी के प्रचार प्रसार की करें तो शासन,प्रशासन का संबंधित विभाग आज भी खादी के महत्व को प्रचार प्रसार करने में कमी नहीं कर रहा है। हमने पीएम के मन की बात में कई बार खादी के महत्व और उसके स्थान के बारे में भी सुने होंगे। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एक कार्यक्रम में हमने देखा पीएम ने नारा दिया था राष्ट्र के लिए खादी, फैशन के लिए खादी। खादी के संबंध में खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) भी बनाया गया है। यह संसद के खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग अधिनियम 1956 के तहत भारत सरकार द्वारा निर्मित एक वैधानिकनिकाय है। यह भारत में खादी और ग्रामोद्योग से संबंधित सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय (भारत सरकार) के अन्दर आने वाली एक शीर्ष संस्था है, जिसका मुख्य उद्देश्य है - ग्रामीण इलाकों में खादी एवं ग्रामोद्योगों की स्थापना और विकास करने के लिए योजना बनाना,प्रचार करना, सुविधाएं और सहायता प्रदान करना है।...साथियों बात अगर हम 31 अगस्त 2021 को माननीय उपराष्ट्रपति द्वारा खादी और ग्रामोद्योग आयोग द्वारा रखे गए खादी भारत डिजिटल क्विज़ योजना के शुभारंभ की करें तो पीआईबी की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, क्विज़ प्रतियोगिता जनता को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और स्वतंत्रता पूर्व युग के बाद से खादी की विरासत से जोड़ने का प्रयास करेगी। इसमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, स्वदेशी आंदोलन में खादी की भूमिका और भारतीय राजनीति से संबंधित प्रश्न शामिल हैं। क्विज़ प्रतियोगिता 15 दिनों तक (31 अगस्त 2021 से 14 सितंबर 2021) तक चलेगी जिसमें हर दिन केवीआईसी के सभी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर 5 प्रश्न पूछे जाएंगे। क्विज़ में भाग लेने के लिए इसकी डिजिटल साइट पर जाना होगा। प्रतिभागियों को 100 सेकंड के भीतर सभी पांच सवालों के जवाब देने होंगे। क्विज़ प्रतिदिन सुबह 11 बजे शुरू होगा और अगले 12 घंटों तक यानी रात 11 बजे तक खुला रहेगा। इस प्रतियोगिता में विजेताओं को कुल इक्कीस पुरस्कार 80 हज़ार रुपए मूल्य के खादी इंडिया इकूपन के रूप में दिए जाएंगे।...साथियों बात अगर आम खादी के उपयोग, महत्वपूर्णता और आत्मनिर्भर भारतमें योगदान,पर्यावरणीय लाभों की करें तो राष्ट्रपति महोदय ने अपने संबोधन में सभी से खादी इंडिया क्विज प्रतियोगिता में भाग लेने का आग्रह करते हुए कहा कि यह प्रतियोगिता हमें अपनी जड़ों की ओर वापस ले जाने का एक रोचक माध्यम है, क्योंकि यह हमारे स्वतंत्रता संग्राम के ऐतिहासिक क्षणों और हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों के अद्वितीय योगदान का स्मरण कराती है। उन्होंने खादी की ऐतिहासिक प्रासंगिकता को याद करते हुए कहा कि यह स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जनता को जोड़ने के लिए एक बंधनकारी शक्ति थी। महात्मा गांधी ने वर्ष 1918 में गरीबी से पीड़ित जनता के लिए आय का एक स्रोत उत्पन्न करने के लिए खादी आंदोलन शुरू किया और बाद में उन्होंने इसे विदेशी शासन के खिलाफ एक शक्तिशाली प्रतीकात्मक उपकरण में बदल दिया। आगे कहा कि हमारा स्वतंत्रता संग्राम बदलाव और आशा की यात्रा थी जो हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है, चाहे कितनी भी प्रतिकूल परिस्थिति क्यों न हो। उन्होंने कहा कि हमारे पास स्वतंत्रता सेनानियों से सीखने के लिए बहुत कुछ है, खासकर मातृभूमि के हितों को हर चीजसे आगे रखने की भावना। खादी के पर्यावरणीय लाभों का जिक्र करते हुएवकहा कि, खादी में शून्य कार्बन फुट प्रिंट है क्योंकि इसके निर्माण के लिए बिजली या किसी भी प्रकार के ईंधन की आवश्यकता नहीं होती है, ऐसे समय में जब दुनिया कपड़ों के क्षेत्र में स्थायी विकल्प तलाश रही है, तो हमें यह याद रखना चाहिए कि खादी पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ वस्त्र के रूप में निश्चित ही हमारी आवश्यकताओं को पूरा करती है। उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों से यूनिफार्म के लिए खादी के रूप में इसके उपयोग का मार्ग तलाशने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह न केवल छात्रों को खादी के कई लाभों का अनुभव करने का अवसर देगा बल्कि उन्हें हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों और स्वाधीनता आंदोलन के इतिहास से जुड़नेमें भी मदद करेगा अपनी विशिष्ट झिरझिरटी बनावट के कारण खादी हमारी स्थानीय जलवायु परिस्थितियों के लिए काफी उपयुक्त है। उन्होंने युवाओं से खादी को फैशन स्टेटमेंट बनाने और उत्साह के साथ सभी के द्वारा इसके उपयोग को प्रोत्साहन देने की अपील की और कहा आज देश के नागरिकों से खादी को राष्ट्रीय वस्त्र के रूप में अपनाने की अपील की और इसके इस्तेमाल को व्यापक रूप से बढ़ावा देने का आग्रह किया। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियों से इसके लिए आगे आने तथा खादी के उपयोग को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित करने का आह्वान किया। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि खादी की विरासत से जोड़ने का खादी भारत डिजिटल क्विज़ प्रतियोगिता कराना एक अनोखा प्रयास है तथा खादी में नैतिकता और आध्यात्मिकता की आभा है, इसमें स्वदेश प्रेम और स्वदेश की भावना निहित है। 
-संकलनकर्ता- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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