नया सबेरा नेटवर्क
करवा चौथ से शुरू होकर चलता है धनतेरस तक
दूर-दूर से महिलाएं आती हैं श्रृंगार के सामान खरीदने
अजय सिंह
शाहगंज,जौनपुर। ऐतिहासिक सीता श्रृंगार मेला जो अब चूड़ी का मेला के नाम से सुप्रसिद्ध है। मेला अपनी आन बान शान के साथ शुरू हुआ। यह ऐतिहासिक मेला करवा चौथ के दिन प्रारम्भ होकर धनतेरस की पूर्व रात्रि को समाप्त होता है। सप्ताह भर चलने वाला मेला अपने तरह का अनोखा मेला है। इस मेले में गैर जनपद से आये चूड़ी, सौंदर्य प्रसाधन, सैंडल, खिलौने, क्रॉकरी, आर्टिफिशल ज्वेलरी के दुकानदार अपना स्टाल लगा सैकड़ों वर्षों से मेले की शोभा बढ़ा रहे हैं। शाम ढलते ही क्षेत्र के आसपास की महिलाओं का सैलाब ऐतिहासिक चूड़ी मेले में उमड़ पड़ता है। मान्यता है कि मर्यादा पुरु षोत्तम श्रीराम लंका विजय के बाद पावन नगरी अयोध्या लौटे थे। यहां लौटते समय माता सीता जी ने संयासी चोले को त्यागने के बाद अपने श्रृंगार के साजोसामान की खरीदारी श्रृंगार हाट से की थी। इसी तर्ज पर श्रृंगार मेले का आयोजन 100 साल से अधिक से किया जा रहा है। इस ऐतिहासिक मेले की अनूठी रौनक यह है कि दशहरे से लेकर दीपावली तक आस पास के क्षेत्र के लोगों के लिए रोज त्योहार जैसा होता है। हिन्दू- मुस्लिम सभी समुदाय की महिलाएं भी बढ़ चढ़कर खूब खरीदारी करती हैं। दूरदराज ब्याही नगर की बेटियों को इस मेले के लगने का बेसब्राी से इंतजार रहता है। मेले में वाराणसी से आये वर्तमान समय के सबसे पुराने चूड़ी व्यवसायी मो. असलम के मुताबिक वह लगभग तीन दशक से अनवरत मेले में दुकान लगाते हैं। हर वर्ष इस ऐतिहासिक सीता श्रृंगार मेला (चूड़ी मेला) का बेसब्राी से इंतजार रहता है। इस मेले में गंगा जमुनी संस्कृति की एक अनोखी मिसाल देखने को मिलती है कि गैर जनपदों से आये लगभग सभी व्यवसायी मुस्लिम समुदाय के हैं। मुस्लिम समुदाय की महिलाएं भी मेले की रौनक बढ़ा रही हैं। इस बार चूड़ी मेले में राधा किशन चूड़ा, राजा रानी कंगन की धूम मचेग। वाराणसी, अम्बेडकर नगर, जौनपुर, आजमगढ़, सुल्तानपुर से आए व्यापारी चूड़ी, सौंदर्य प्रसाधन, सैंडल, खिलौने, क्रॉकरी, आर्टिफिशल ज्वेलरी से दुकान सजाए हैं। वाराणसी के व्यवसायी सादिक उर्फ गुड्डू, हाजी मो. असलम, रिजवान, इरफान, आममगढ के तारिक सुल्तानपुर के जावेद समेत दर्जनों व्यवसायी ऐतिहासिक चूड़ी मेले की शोभा बढ़ा रहे हैं। मेले में नगर पालिका परिषद, रामलीला समिति, पुलिस प्रशासन के अलावा मोहल्ले के लोगों का बाहर से आए दुकानदारों और खरीदारी करने पहुंची बहन बेटियों को काफी सहयोग रहता है। इस ऐतिहासिक मेले में पुरूषों के प्रवेश पर प्रतिबंध रहता है।
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