नया सबेरा नेटवर्क
आजीविका का मुख्य साधन है केले की खेती
शिवशंकर दुबे
खुटहन,जौनपुर। सकारात्मक सोच के साथ-साथ सही दिशा में किया गया कार्य निश्चय ही बेहतर परिणाम देता हैं। ऐसी ही मिसाल पेश कर रहे हैं स्थानीय ब्लॉक के भटपुरा गाँव के किसान राजमन यादव उर्फ काका। दो बीघा केले की खेती से किसान ने अपनी तरक्की की राह तैयार कर ली। वह अन्य लोगों के लिए भी आइडियल बने हुए है। रोजी रोजगार के लिए गाँव छोड़कर अन्य प्रदेशो में जाने वाले परिवार का विस्थापन रोक उन्हें अब गाँव में काम मिलने लगा हैं। पारंपरिक खेती से कम लाभ पा रहे किसान को अब केले की खेती अधिक मुनाफा दे रही हैं। किसान राजमन यादव के मुताबिक एक बीघा केले की खेती में लगभग एक लाख रु पए का मुनाफा हो जा रहा हैं। उन्होंने बताया कि मात्र दो बीघा केले की खेती करता हूँ। इंटर मीडिएट तक पढ़े किसान राजमन यादव ने वर्ष 2019 में केले की खेती शुरू की। जब उन्हें पारम्परिक खेती के मुकाबले अच्छा मुनाफा होने लगा तो कुछ अन्य किसानो का भी ध्यान इस ओर लगना शुरू हो गया हैं। इस काम में उनके साथ पत्नी लालती देवी भी लगी रहती हैं। केले के पौधे लगाने के लिए जून महीना उपयुक्त रहता हैं। अगले वर्ष सितम्बर अक्टूबर में फल कट जाता हैं। जुलाई में केले के साथ फूल गोभी, बन्द गोभी, धनिया, की भी खेती करते हैं और दो महीने बाद सितम्बर में काट लेते हैंं। फिर सितम्बर महीने में ही दूसरी सब्जी की खेती कर लेते हैं। दिसम्बर जनवरी में इसे काट लेते हैं। इसके बाद उसी खेती में मड़ाई कर मटर की खेती की जाती हैं। मटर कटने के बाद तरबूज उगाया जाता हैं। यानी केले के साथ ही पूरे वर्ष में विभिन्न सब्जियों की खेती करने से और बेहतर मुनाफा हो रहा हैं। राजमन यादव ने बताया कि केले के पौधे वे लखनऊ व बाराबंकी से मंगाते हैं। इसकी कीमत प्रति पौधा 18 रु पए पड़ती हैं। एक बीघा खेत में लगभग 800 पौधे लगाए जाते हैं। व्यापारी फोन से संपर्क में रहते हैं। किसान राजमन यादव ने बताया कि अगस्त माह के बाद से ही जौनपुर,शाहगंज, सुजानगंज, आजमगढ़, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर के व्यापारी आना शुरू हो जाते हैं।
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