नया सबेरा नेटवर्क
75 फुट ऊंचा रावण होगा आकर्षण का केंद्र
अजय सिंह
शाहगंज,जौनपुर। नगर में सामाजिक सौहार्द की मिसाल हमेशा से रही है। यही वजह रही है कि प्रेम और सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश करने वाले यहां हमेशा नाकाम रहे। नगर के ऐतिहासिक विजयादशमी मेले में रावण के पुतले के निर्माण में लगे सुब्बन खां की तीन पीढि़यां राजा दशरथ का दीवान व अशोक वाटिका आदि तमाम पुतले की कृतियां बनाते चली आ रही हैं। पीढि़यों से भादी के निवासी सुब्बन खां का कुनबा प्रभु राम के इस काम में हाथ बटाता चला आया है। इस साल 75 फुट ऊंचा रावण का पुतला मेले के आकर्षण का केंद्र होगा। बताते हैं कि स्थानीय नगर में 185 वर्ष पूर्व रामलीला और विजयादशमी मेले की शुरु आत हुई तभी से रावण के पुतले सहित राजा दशरथ का दीवान, अशोक बाटिका, मेघनाथ, सुपनखा, जटायु, हिरन आदि का पुतला बनाने का काम एक मुस्लिम परिवार करता चला रहा है। भादी गांव निवासी सुब्बन खां बताते हैं कि उनके पहले उनके पिता कौसर खान रावण के पुतले को बनाने की जिम्मेदारी निभाते रहे। आज इस काम को सुब्बन खां करते हैं। जिनके सहयोग में उनकी पत्नी महजबी, पुत्री अफरीन, गुलसबा व पुत्र शाहनवाज, आकिब लगे होते हैं। सुब्बन खां का परिवार पीढि़यों से बगैर किसी हिचक के विजयादशमी के पर्व में अपना सहयोग देता चला आया है। स्थानीय विजयादशमी का मेला पूर्वांचल में अपना एक अलग स्थान रखता है। यहां पर क्षेत्र के अलावा आजमगढ़, सुल्तानपुर, अंबेडकर नगर जिलों से भी लोग मेले में शरीक होने के लिए पहुंचते हैं। मेले में बैलगाड़ी और ट्रैक्टर से महिलाओं के पहुंचने की एक अनोखी परंपरा सी रही है। जो बदले दौर में इक्का - दुक्का बैलगाड़ी ही दिखाई पड़ती हैं। इनकी जगह ट्रैक्टर और ट्रकों ने ले लिया है। गाडि़यों में चारपाई और चौकी आदि रख कर उस पर बैठकर महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग मेले में शरीक होते हैं। मेला स्थल पर व्यवस्था को बनाए रखने में पुलिस प्रशासन के साथ ही रामलीला समिति के पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी सक्रिय भूमिका निभाते हैं। आयोजन स्थल में बने पंडाल में क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अफसरों की मौजूदगी मेले के महत्व को दशर््ााती है।
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