नया सबेरा नेटवर्क
लखनऊ । पहले ही बोले थे रोक नहीं पाओगे। यूपी कांग्रेस का यह ट्वीट उसके बदले हुए तेवर को बयां कर रहा है। लखीमपुर कांड पर योगी सरकार से आर-पार की लड़ाई में कांग्रेस इसे अपनी जीत के रूप में देख रही है। कांग्रेस भले ही यूपी में चौथे नंबर की पार्टी हो लेकिन कोई एक घटना भी सियासत की धारा का रुख मोड़ देती है। तो क्या प्रियंका गांधी ने लखीमपुर हिंसा के बाद मुखर होते हुए एक नई लकीर खींच दी है। वो सियासी लकीर, जिसमें अखिलेश यादव और मायावती जैसे हैवीवेट नेता भी पीछे नजर आ रहे हैं।
तो क्या लखीमपुर का रास्ता लखनऊ के करीब ले जाता है? यानी प्रियंका गांधी जिस तरह इस मामले में आगे बढ़ी हैं, उसे किस तरह देखा जाए। 'प्रियंका गांधी लगातार प्रो ऐक्टिव भूमिका निभाती रही हैं, जूझती रही हैं। लेकिन इसका जमीन पर लंबे वक्त के लिए इस वजह से असर नहीं हो रहा है क्योंकि वह वहां टिकती नहीं हैं। लॉजिकल कंक्लूजन तक ले जाने का काम नहीं करती हैं। सोनभद्र के साथ ही चंपारन या खेड़ा का उदाहरण हो सकता है। कांग्रेस के संगठन में जान नहीं है। कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व संगठन पर निर्णय नहीं ले पा रहा है। इस तरह के प्रयास तभी सफल होते हैं, जब आपका संगठन ठीक हो। उनकी व्यक्तिगत बहादुरी और साहस की लोग तारीफ कर रहे हैं। उनकी पहल की प्रशंसा होनी चाहिए। इस मामले में सही है कि अखिलेश यादव और मायावती जो दोनों दावेदार हैं वह पीछे छूट गए। पहले ही दिन अगर मायावती या अखिलेश यादव चले जाते तो लीड उनको मिलती।'
प्रियंका गांधी के बदले हुए तेवर क्या यूपी में कांग्रेस के अच्छे दिन ला सकते हैं। इस सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं, 'जिस तेजी के साथ नैरेटिव बदलता है यह नहीं कहा जा सकता है कि आज वह चौथे नंबर या तीसरे नंबर पर हैं और कल को वो पहले नंबर पर नहीं आ जाएंगी। अगर उनके तेवर इसी तरह से बरकरार रहे तो तस्वीर में बदलाव आ सकता है। जिस तरह से उन्होंने लखनऊ में अपना ठिकाना बना लिया, जिस आनन-फानन में उन्होंने लखीमपुर की घटना पर प्रतिक्रिया दी है। साथ ही विपक्ष में एक अकेली नेता वही हैं जो हिरासत में रहीं। ऐसे में नैरेटिव बदलने में वक्त नहीं लगता है। जनता ये देखेगी कि हमारे लिए वाकई में लड़ कौन रहा है। प्रियंका ने एक आक्रामक रोल निभाया है। अगर इसी तेवर को वह बरकरार रखती हैं तो सबके लिए खतरे की घंटी है।'
सवर्ण मतदाता और दलित मतदाता परंपरागत रूप से कांग्रेस के साथ रह चुका है। मुस्लिम मतदाता भी इसमें आता है। इसके साथ ही एंटी इंकम्बेंसी (सत्ता विरोधी) वाले जो वोट होते हैं, वो भी इस तरफ आ सकते हैं। ऐसे में अगर माहौल बदलता है तो कोई भी दल अपना वोट बैंक पूरी तरह से नहीं बचा पाएगा।'
यूपी कांग्रेस के प्रवक्ता अंशू अवस्थी का कहना है, 'प्रियंका गांधी और राहुल गांधी जी को पीड़ित किसान परिवारों से मिलने की अनुमति देने के साथ ही सत्य की जीत हुई है। यह किसानों की जीत है। उम्भा, हाथरस, लखीमपुर, आजमगढ़ और वाराणसी के बाद एक बार फिर से यह बात साबित हो गई है। प्रियंका गांधी जी जब-जब लोगों के लिए खड़ी हुई और लड़ी हैं, बीजेपी सरकार को बैकफुट पर जाना पड़ा और झुकना पड़ा।'
from Naya Sabera | नया सबेरा - No.1 Hindi News Portal Of Jaunpur (U.P.) https://ift.tt/3Dl1zzN
0 Comments