खाकी वर्दी वाले देते हैं कितना बलिदान,
आप !और हम क्या ! कभी उनके बारे में सोचते हैं ,
परिवार से दूर, होली हो या दीपावली,
जनता की सेवा में चौबीस घंटे तत्पर रहते ,
कानून के नियमों का पालन करना है कैसे?
ना करे कोई उल्लंघन, संविधान की सुरक्षा हो,
कठोर लचीला दंड की व्यवस्था से ,
सही राह पर चलना सिखाते,
खाकी वर्दी वाले ही प्रेम सौहार्द की भावना जन में लाते,
हम सुरक्षित अपने घरों में चैन की नींद सोते हैं
तो खाकी वर्दी वाले रात भर चौराहा गलियों में गश्त लगाते,
सबकी बहन —बेटियां सुरक्षित घर लौटे,
कहीं चोरी ,डकैती ,लूट ,हत्या ना हो ,
सबकी सुरक्षा में दिन —रात लगे रहते,
चेतना प्रकाश से कहती_
अपने मातृभूमि के प्रति कितना है उनमें प्रेम,
अच्छा व्यवहार करना कोई इनसे सीखे!
खाकी वर्दी वालों से ही देश में सुख— शांति ,
भारत के शूरवीर खाकी वर्दी वालों को चेतना चितेरी का नमन।
(मौलिक रचना)
चेतना चितेरी, प्रयागराज
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