जौनपुर। भारत की प्राचीनतम विधा योग उच्चतम कोटि की श्वासों का विज्ञान है। शरीर के सभी तंत्रों पर श्वसन तंत्र का बहुत ही गहरा प्रभाव होता है, इसलिए हर व्यक्ति को नियमित और निरन्तर प्राणायामों के साथ ध्यान का अभ्यास करना चाहिए। यह बातें नगर के सिपाह के पासस्थित एक होटल में चल रहे साप्ताहिक ध्यान योग प्रशिक्षण में वरिष्ठ सर्जन डा केपी यादव ने कही।
इसी क्रम में पतंजलि योग समिति के प्रान्तीय सह प्रभारी अचल हरीमूर्ति और भारत स्वाभिमान के जिला प्रभारी शशिभूषण ने योगाभ्यास कराते हुए बताया कि प्राणायामों के नियमित अभ्यासों से रक्त में आक्सीजन का स्तर काफी अधिक हो जाता है जिसके कारण रक्त की शुद्धिकरण प्रक्रिया के साथ शरीर के सभी तंत्रों पर इसका बड़ा सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। श्री हरीमूर्ति ने बताया कि भस्त्रिका प्राणायाम के तहत पूरक,रेचक और कुम्भक प्रक्रियाओं के कारण फेफड़ों का अधिकतम भाग सक्रिय हो जाता है जिसके कारण श्वसन तंत्र से सम्बंधित सभी समस्याओं का निदान हो जाता है। शारीरिक और मानसिक समस्याओं के मूल में पाचनतंत्र होता है।जिसका समाधान लम्बे समय तक कपालभाति और वाह्य प्राणायामों के अभ्यासों से किया जा सकता है। अनिद्रा, बेचैनी, बीपी और मानसिक समस्याओं के समाधान में अनुलोम-विलोम, भ्रामरी और उद्गीथ प्राणायामों का नियमित अभ्यास बेहद ही लाभकारी होता है, इसलिए कम से एक घंटे तक ध्यान के साथ प्राणायामों का अभ्यास हर व्यक्ति को करना चाहिए।
इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार कपिलदेव मौर्य, लक्ष्मीशंकर यादव, राय साहब, रंग बहादुर, ओम प्रकाश, रामकृष्ण, विजय कुमार, अमित कुमार सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।
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